Paddy Transplanting

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चंद्रपुर. दो दिन पहले बाढ़ की स्थिति के उपायों को लेकर मैदान में उतरनेवाले जिलाधिश विनय गौडा ने शनिवार को भारी बारिश के बीच धान के खेत में पहुंचे. इस अवसर पर ‘श्री’ विधि से धान की रोपाई शुरू की गयी.

जिलाधिश विनय गौड़ा ने गौंडपिपरी तहसील के बोरगांव के सुरेश भसारकर के धान खेत में एस.आर.आय.(श्री) तरिके से धान की रोपाई शुरू की. धान की रोपाई तैयार हो चुकी है और किसान पर्याप्त बारिश का इंतजार कर रहे हैं. जल आपूर्ति वाले स्थानों में धान की खेती जोर पकड़ रही है. जिलाधिश ने धान रोपने वाले किसानों और महिलाओं से बातचीत करते हुए स्वयं धान की रोपाई की. 

इस अवसर पर जिला अधीक्षक कृषि पदाधिकारी शंकर तोटावार, उप जिलाधिश स्नेहल रहाटे, कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डा. नागदेवते, कृषि उपसंचालक चंद्रकांत ठाकरे, तहसीलदार शुभम बहाकर, उपविभागीय कृषि अधिकारी गिरीश कुलकर्णी, तहसील कृषि अधिकारी सचिन पानसरे सहित क्षेत्रिय कर्मचारी और किसान उपस्थित थे. 

जिलाधिश ने खरपतवार प्रबंधन, मिट्टी परीक्षण के अनुसार उपयुक्त उर्वरक के उपयोग के संबंध में निर्देश दिये. उन्होंने किसानों से धान की उन्नत तरीके से खेती करने की भी अपील की. डा. नागदेवते ने पेर भात, टोकन विधि से धान की खेती के अर्थशास्त्र के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि श्री विधि से खेती करने पर पारंपरिक विधि की तुलना में पौधों की संख्या 40 से 50 तक बढ़ जाती है और प्रति हेक्टेयर उपज 10 क्विंटल तक बढ़ जाती है.

जिलाधिश की गोंडपिपरी तहसील के सोयाबीन परियोजना को भेट

जिलाधिश विनय गौड़ा ने गोंडपिपरी तहसील में तारसा बू. का दौरा किया.  यहां राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन के तहत जसविंदर सिंह सुच्चासिंह पन्नू के खेत में सोयाबीन फसल के प्रदर्शन प्रोजेक्ट का दौरा किया. इस अवसर पर उन्होंने सरी वरम्बा पर सोयाबीन थ्रेशर की सहायता से लगाये गये क्षेत्र का निरीक्षण किया. साथ ही जिलाधिश द्वारा कृषि विभाग की ओर से मानव विकास योजना के माध्यम से दिये गये टोकन यंत्रों की सहायता से बुआई का प्रदर्शन भी किया गया. 

इस अवसर पर जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी शंकर तोटावार ने सोयाबीन की खेती की तकनीक के बारे में जानकारी दी और कहा कि सोयाबीन की फसल के अष्टसूत्री का उपयोग किसानों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए फायदेमंद है. सोयाबीन की फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए चिपचिपा जाल, गंध जाल, पक्षी रोक, निम्बोली अर्क और दशपर्णी अर्क का उपयोग बुआई के 15 दिन बाद करना चाहिए. साथ ही उर्वरक प्रबंधन के दौरान 12:61:00 उर्वरक 100 ग्राम प्लस 20 ग्राम चिलेटेड सूक्ष्म पोषक तत्व प्रति 10 लीटर पानी में उपयोग करने के निर्देश दिए गए. 

35 दिनों के बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए आवश्यकतानुसार निंदनी डवरनी का प्रयोग अनुशंसित है. गोंडपिपरी तहसील में कुल 80 हेक्टेयर पर सरी वरम्बा पर सांकेतिक सोयाबीन लगाने की जानकारी तहसील कृषि अधिकारी ने दी.