भीषण गर्मी में बाघों का जल स्रोतों पर कब्जा, बाघों के दर्शनों से पर्यटक खुश

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    चंद्रपुर. प्रतिवर्ष जब गरमी अपने चरम पर पहुंचती है तो ऐसे जलस्त्रोतों के पास सभी वन्यजीव नअर आने लगते है. प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी पट्टेदार बाघों के लिए दुनिया भर में प्रसिध्द ताड़ोबा_अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के तकरीबन सभी जलस्त्रोतों पर बाघों ने अपने परिवार के साथ डेरा डाल दिया है. ऐस में ग्रीष्मकालिन अवकाश के दौरान पर्यटन का मजा लूटने आनेवाले पर्यटकों को अब बाघों के नियमित रूप से दर्शन होने शुरू हो गए है. 

    विगत दो वर्ष से कोरोना संकट के कारण ताड़ोबा पर्यटन प्रभावित रहा है. 2020 में पूरी तरह से लॉकडाऊन रहा जबकि वर्ष 2021 में दूसरी लहर की वजह से स्थिति और भी गंभीर रहने से पर्यटकों की संख्या काफी कम रही. इस बार कोरोना के लगभग पूरी तरह समाप्ति के चलते पर्यटकों ने पहले से ही घुमने फिरने का मन बना लिया और प्रतिदिन बडी संख्या में पर्यटक बाघों के दर्शन के लिए ताड़ोबा पहुंच रहे है.

    जिले में  पारा 45  डिग्री सेल्सिअस के पास पहुंचने से ताड़ोबा के प्राकृतिक जलस्त्रोत सूखने के कगार पर पहुंच चुके है. ऐसे में जहां जहां पानी है और जिन कृत्रिम वॉटरहॉल में ताड़ोबा प्रबंधन द्वारा नियमित रूप से जलापूर्ति हो रही है  ऐसे जलस्त्रोतों पर बाघों ने डेरा डालना शुरू कर दिया है. इस समय पूरे जिले में जबरदस्त लू चल रही है. लू से इंसान तो क्या अभयारण्य के जानवर भी बैचेन है.

    बाघों की सबसे खूबी यह है कि एक बाघ जहां डेरा डाल देता है तो उसका कम से कम 2-3 किमी दायरे में एकाधिकार होता है. यहां बाघ और उसका परिवार ही नजर आता है. ऐसे में अक्सर एकाधिकार के लिए बाघों में आपसी संघर्ष की घटनाएं भी बढ जाती है. प्राकृतिक जलाशयों और कृत्रिम वॉटर फॉल पर बाघों के डेरा डालने से पर्यटकों के लिए बाघों के दर्शनों का लुत्फ उठाने का पूरा अवसर मिलता है.यही कारण है कि ग्रीष्मकाल की बदन झुलसा देनेवाली गरमी में भी पर्यटक बढी संख्या में बाघों को करीब से देखने यहां पहुंचते है.

    जलस्त्रोतों ने दम तोड़ा

    उल्लेखनीय है कि ताड़ोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प नदी, नाले, झरने, तालाब, पत्थर बांध और सीमेंट के पक्के बांध ऐसे प्राकृतिक और कृत्रित जलस्त्रोत है. तीव्र गर्मी में प्राकृतिक जलस्त्रोत पूरी तरह से सूख जाते है इस समय कृत्रिम रूप से तैयार किए गए जलस्त्रोतों में सोलर सिस्टम से बोरिंग का पानी छोड़ा जाता है.. इससे वन्यजीवों को काफी राहत मिलती है. इन दिनों कोलारा गेट के पास स्थित एक जलस्त्रोत में मटकासूर नामक बाघ के नियमित रूप से दर्शन हो रहे है. यह इस क्षेत्र का प्रसिध्द बाघ है. वही देवाडा बफर में एक बाघिन अपने शावकों के साथ जलस्त्रोत के पास डेरा डाले हुए विगत दिनों नजर आयी थी. 

    सौर उर्जा से होती है जलापूर्ति

    हर वर्ष ग्रीष्मकाल में जब सभी प्राकृतिक जलस्त्रोत सूख जाते है उस समय इन जलस्त्रोतों में पास बने कृत्रिम पानी के टांकों में सौरउर्जा पंपों की सहायता से भूमिगत पानी छोड़ा जाता है यह दो टाईम सुबह और शाम को दिया जाता है. परंतु इस बार भूगर्म में भी पानी की मात्रा कम होने से टैंकर से ही जलापूर्ति करना प्रबंधन की मजबूरी होती है.जलसंकट का अंदेशा होने से प्रबंधन ने कई स्थानों पर नए बोरवेल किए है जहां सौरउर्जा के माध्यम से जलापूर्ति की जाएगी. इन बोरवेल पर सोलरपंप लगाये जाएंगे.

    120-150 कृत्रिम वॉटरहॉल, 8 तालाब

    ताड़ोबा के कोअर क्षेत्र में लगभग 120 से 150 कृत्रिम वॉटर हॉल है. छोटे बड़े मिलाकर 8 प्राकृतिक तालाब है. इसमें ताड़ोबा और कोलसा में 12 महीने पानी भरा रहता है. इसके अलावा जामणी, पांगडी, कारवा, पिपरहेटी, बोटेझरी, पिपरी, तेलिया, महालगांव, मोहर्ली, जामुनझोरा, शिवणझरी, फूलझरी, आंभोरा में प्राकृतिक तालाब है. अंधारी नंदी के प्रवाह से बने बाघडोह, मोहागड्डा, कलंबा डोह, उमरीपाटा, तुलाराम जलस्त्रोत है. इसके अलावा प्राकृतिक रूप से उपाशा नाला, जामुनझोरा, तेलिया, आंबटहिरा, कोटेझरी, कालाआंबा, चिखलवाही, सांबरडोह, कासरबोडी, चिचघाट, गिरघाट, वसंतबांध आदि का समावेश है.

    अन्य प्राणियों को जान सांसत में

     ताड़ोबा प्रकल्प के 625 चौरस किमी फैले क्षेत्र में बाघ, तेंदूए सहित हिरण, सांबर, नीलगाय, बायसन, भालू, जंगली बिल्ली, बंदर समेत कई जानवर है, भीषण गर्मी में प्राकृतिक और कृत्रिम जलाशयों के पास बाघ अपने परिवार के साथ डेरा डाल देते है ऐसे में अन्य प्राणियों के लिए जान पर खेलकर यहां से जल पीना पड़ता है ऐसे में पर्यटकों के लिए बाघों की दर्शन काफी सुलभ हो जाते है. पानी के खोज में अन्य जानवर इधर उधर भटकते है जिससे तेज रफ्तार वाहनों के चपेट में आकर उनकी मौत होने का खतरा बढ जाता है साथ ही ग्रीष्मकाल में ताड़ोबा से सटे ग्रामों में मानव_ वन्यप्राणियों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी बढ जाती है. इस सब पर अंकुश लगाने के लिए ताड़ोबा_अंधारी व्याघ्र प्रकल्प उपाययोजना कर रहा है.