चंद्रपुर: पिछले दो वर्षो से विदर्भ में अधिवेशन नहीं लिया गया है। विदर्भ की जनता की दृष्टि से नागपुर करार सत्ताधारी सरकार ने भंग किया है। हमारी दृष्टि से महाराष्ट्र सरकार अब समाप्त हो गई है। अब अधिवेशन की आवश्यकता नहीं है हमें पृथक विदर्भ राज्य चाहिए ऐसी प्रतिक्रिया विदभ राज्य आंदोलन समिति ने दी है।
नागपुर करार के अनुसार राज्य का शीतकाल अधिवेशन उपराजधनी नागपुर में होता था। किंतु पिछले दो वर्षो से सरकार बहाने कर नागपुर अधिवेशन से कतरा रही है। महाराष्ट्र सरकार की यहां अधिवेशन आयोजित कर विदर्भ मुद्दे को हल करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। आपने हमारे विदर्भ को इतना लूटा और धोखा दिया है कि अब आपके सामने अन्याय की कहानी पढ़ने का कोई मतलब नहीं है। विदर्भ भूमि, पानी, खनिज, बिजली, जंगल जैसे सभी संसाधनों से संपन्न है, सरकार की गलत योजनाओं के कारण विदर्भवासी प्रदूषण, बिजली लोडशेडिंग, बेरोजगारी, कुपोषण जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
अब वजह कुछ भी हो, विदर्भ की धरती पर मत आना। विदर्भवादी विदर्भ का ख्याल रख लेंगे। विदर्भ की जनता की दृष्टि से आपकी सरकार खत्म हो गई है ऐसी तीखी प्रतिक्रिया पूर्व विधायक वामनराव चटप, प्रकाश पोहरे, रंजना ममरदे, डॉ. श्रीनिवास खंडेवाले, मुकेश मसूरकर, अरुण केदार, अधिवक्ता मोरेश्वर टेमुर्डे, डॉ. रमेश गजबे, जिलाध्यक्ष किशोर दाहेकर, मितिन भागवत, कपिल इद्दे, हीराचंद बोरकुटे, सुदाम राठोड़, चैताली कटलावर, सारिका उराडे, गोपी मित्रा, अनिल डिकोंडावर, अरुण नवले, रमेश नले, अंकुश वाघमारे, सुधीर सतपुते, राजू बोरकर, सचिन सरपटवार, पापिता जुंघारे, सारिका उराडे, मुन्ना आवाले, शेषराव बोंडे, बंडू राजुरकर आदि ने दी है।