सीईओ की आशिर्वाद संकल्पना रंग लाई, फुलोरा उपक्रम प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिए प्रस्तावित

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    गड़चिरोली. गड़चिरोली जिला परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुमार आशिर्वाद की संकल्पना से  जिप के स्कूल में फुलोरा यह उपक्रम चलाया जा रहा है. विशेषत: यह उपक्रम जरूरतमंद और गरीब छात्रों के लिये वरदान साबित हो रहा है. इस उपक्रम के माध्यम से छात्रों के गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी हुई है. जिसका नतिजा केंद्र सरकार ने सीईओ कुमार आशिर्वाद के इस उपक्रम का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार ने इस उपक्रम को प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिये प्रस्तावित किया है.

    बताया जा रहा है कि, केंद्र सरकार के पास प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिये केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा प्राप्त कुल 3408 प्रस्तावित प्रोजेक्ट की तीन चरण में जांच कर इनमें से केवल 54 प्रोजेक्ट उक्त पुरस्कार के लिये प्रस्तावित किए गए है. जिसमें महाराष्ट्र राज्य से फुलोरा इस एकमात्र प्रोजेक्ट का समावेश है.

    केंद्रीय समिति ने की जांच

    प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिये प्रस्तावित करने के लिये हाल ही में दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों की टिम गड़चिरोली जिले में पहुंची थी. टीम ने अपने दौरे के दौरान गड़चिरोली तहसील के दिभना समेत घोडेझरी, साखरा इन गांवों को भेट देकर छात्रों के गुणवत्ता की जांच की. उक्त जांच में छात्रों का गुणवत्ता स्तर बढऩे की बात अधिकारियों ने कही है.

    स्कूलों में शुरू बालभवन में अधिकारियों ने छात्रों की प्रत्यक्ष रूप में गणित, भाषाविषयक रचना आदि संदर्भ में जानकारी ली. वहीं स्वच्छता विषयक जानकारी भी हासिल की. गड़चिरोली जिले के छात्रों में गुणवत्ता बढ़ते देख अधिकारियों ने समाधान व्यक्त किया. 

    कोरोना से हुए नुकसान से उभरने उपक्रम कारगर

    गड़चिरोली जिले में वर्ष 2020-21 से पहले चरण में 336 स्कूलों में प्रायोगिक तत्व पर उक्त उपक्रम शुरू किया गया था. इसके बाद दुसरे चरण में 343 स्कूलों का चयन किया गया. और यह उपक्रम वर्तमान स्थिति में 679 स्कूलों में शुरू है. उक्त स्कूलों की संख्या जून 2022 अंत तक 1000 तक किए जाएंगे.

    आगामी सत्र शुरू होने के पहले 100 फिसदी स्कूलों में यह उपक्रम चलाने का संकल्प है. कोरोना कालावधि में ग्रामीण क्षेत्र के छात्र ऑनलाईन शिक्षा से वंचित थे. लेकिन इस कालावधि में फुलोरा उपक्रम के तहत कोरोना कालावधि में हुआ नुकसान    से उभरने के लिये यह उपक्रम कारगर साबित हो रहा है. 

    केंद्र सरकार ने लिया उपक्रम का संज्ञान, जिले के लिये अभिमान की बात 

    जिला परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कुमार आशिर्वाद ने कहां कि, छात्रों को प्राथमिक स्तर पर पोषक वातावरण उपलब्ध करा देने, प्रात्याशिक शिक्षण उपलब्ध करा देने, बोलीभाषा से शिक्षा देकर प्रमाणभाषा की ओर बढऩे, बालभवन के माध्यम से बालशिक्षा देना यह उक्त उपक्रम के प्रमुख उद्देश्य है. कोरोना कालावधि में ग्रामीण  क्षेत्र के गरीब और जरूरतमंद छात्र ऑनलाईन शिक्षा से वंचित रहने के साथ ही बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ा था. इस उपक्रम के कोरोना कालावधि में हुआ छात्रों का नुकसान टालने के लिये उपयुक्त है. वहीं इस उपक्रम का केंद्र सरकार ने संज्ञान लेकर यह जिले के लिये अभिमान की बात है. ऐसी बात उन्होंने कही.