MSRTC कर्मियों के हड़ताल को एक  माह पूर्ण, नहीं निकला हल, आंदोलन तीव्र

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    गड़चिरोली.  रापनि कर्मचारियों को सरकारी सेवा में शामिल करने की प्रमुख मांग को लेकर रापनि कर्मचारियों द्वारा 28 अक्टूबर से हड़ताल शुरू किया गया है. इस हड़ताल को अब एक माह की कालावधि पूर्ण हो गयी है.

    इस कालावधि में विभाग द्वारा हड़ताल करनेवाले रापनि कर्मचारियों को सेवा में पूर्ववत शामिल होने संदर्भ में सूचना और नोटिस भिजवायी गयी. लेकिन अपनी मांग पूर्ण होने तक हड़ताल जारी रखने का निर्णय हड़ताल करनेवाले रापनि कर्मचारियों ने लिया. जिसके बाद विभाग ने हड़ताल करनेवाले कर्मचारियों को निलंबित करना शुरू कर दिया.

    इसी बीच रापनि कर्मचारियों की सरकार के साथ बैठक भी हुई. लेकिन आयोजित बैठकों में किसी भी तरह का हल नहीं निकल पाया. जिससे पिछले एक माह से हड़ताल जारी है. वहीं आगे हड़ताल तीव्र रूप से करने की चेतावनी कर्मचारियों ने दी है.

    एक माह में 9 करोड़ का नुकसान

    पिछले एक माह से रापनि कर्मचारियों का हड़ताल शुरू होने के कारण राज्य समेत  संपूर्ण गड़चिरोली जिले में रापनि की सेवा पुरी तरह प्रभावित हो गयी है. गड़चिरोली विभागीय नियंत्रक कार्यालय अंतर्गत आनेवाले गड़चिरोली, अहेरी और ब्रम्हपुरी बस डिपो के माध्यम से रापनि को प्रति दिन 30 लाख रूपयों की कमाई होती है. लेकिन पिछले एक माह से रापनि कर्र्मचारियों का हड़ताल शुरू होने के कारण तीनों डिपों को मिलाकर रापनि को 9 करोड़ रूपयों का नुकसान होने की जानकारी मिली है.

    100 से अधिक कर्मचारी निलंबित

    एक तरफ रापनि कर्मचारियों का हड़ताल शुरू होने के कारण बसेसवा पुरी तरह बंद है. ऐसे में हड़ताल करनेवाले कर्मचारियों को अनेक बार नोटिस और मौखिक सूचना देने के बाद भी कर्मचारी सेवा में पूर्ववत दाखिल नहीं होने से विभाग ने हड़ताल करनेवाले कर्मचारियों को निलंबित करने का सिलसिला शुरू कर दिया. पिछले एक माह की कालावधि में गड़चिरोली विभागीय नियंत्रण कार्यालय अंतर्गत आनेवाले गड़चिरोली, अहेरी और ब्रम्हपुरी डिपों के करीब 100 से अधिक कर्मचारियों को विभाग ने निलंबित किया है. वहीं कुछ कर्मचारियों को सेवा से भी निकाला गया है.

    यात्रि वर्ग हुए त्रस्त

    पिछले माह भर से रापनि कर्मचारियों का हड़ताल शुरू होने के कारण बसेस पुरी तरह बंद होकर बस डिपों में जमा हो गयी है. एक तरफ बसेस बंद होने के कारण दूसरी ओर यात्रियों को निजि वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है. इधर बसें बंद होने का लाभ उठाते हुए निजि वाहनधारकों द्वारा किराया बढ़ाया गया है. विशेषत: क्षमता से अधिक यात्रियों को ठुसकर जानलेवा सफर किया जा रहा है. जिसके कारण यात्रियों को शारिरीक, मानसिक और वित्तीय रूप से त्रस्त होना पड़ रहा है.