निजी वाहनों में क्षमता से अधिक यात्री, यातायात विभाग की लापरवाही

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    गड़चिरोली. ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र में निजि वाहनों में क्षमता से अधिक यात्रियों को बिठाया जाता है.  किंतु इस ओर उपप्रादेशिक परिवहन विभाग और यातायात विभाग की बेध्यानी होने के कारण इन क्षेत्रों में निजि यात्रि वाहनों का बोलबाला दिखाई दे रहा है. विशेषत: संबंधित विभाग की अनदेखी के चलते यह मामला खुलेआम शुरू है. जिससे क्षमता से अधिक यात्रियों को वाहन में निजि वाहन धारकों पर कार्रवाई करने की मांग नागरिकों द्वारा की जा रही है. गड़चिरोली जिला आदिवासी बहुल और दुर्गम क्षेत्र में बसा है. दुर्गम क्षेत्र में बसे अधिकत्तर गांवों तक रापनि की बसेस नहीं पहुंच पाती है.

    जिसके कारण इन क्षेत्र मेें लोग निजि  वाहनों से अधिक सफर करते है. लेकिन दुसरी ओर इसका गलत लाभ उठाते हुए और कम समय में अधिक पैसे कमाने के चक्कर में निजि वाहनधारक क्षमता से अधिक यात्रियों को बिठाकर सफर करते है. ऐसे में दुर्गम क्षेत्र की सड़कों की हालत खस्ता होने के कारण दुर्घटनाओं की संभावना रहती है. बाजवूद इसके निजि वाहनधारक अपनी मनमानी कर क्षमता से अधिक यात्रियों को बिठाते है. 

    जानेलवा सफर करने पर लोग मजबूर

    हालांकि रापनि कर्मचारियों का हड़ताल समाप्त होने के बाद जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में बस सेवा शुरू हो गयी है. लेकिन अब तक दुर्गम क्षेत्र में आवश्यकता नुसार बस सेवा शुरू नहीं हो पाई है. जिसके कारण अब भी इन क्षेत्र के यात्रि निजि वाहनों से ही आवागमन करते है. ऐसे में निजि वाहनधारक क्षमता से अधिक यात्रि वाहनों में बिठाने के कारण यात्रियों को अपन जान मुठ्ठी में लेकर सफर करना पड़ रहा है. इस  ओर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता होने की बात कही जा रही है.  

    पुलिस को करनी पड़ती है कार्रवाई

     ग्रामीण और दुर्गम परिसर में उपप्रादेशिक परिवहन विभाग अथवा यातायात विभाग के कोई कर्मचारी नहीं है. जिसके कारण क्षमता से अधिक यात्रियों को बिठानेवाले वाहनधारकों पर पुलिस को ही कार्रवाई करनी पड़ती है. अनेक बार ऐसा होता है कि, पुलिस थाना समीपस्थ आने से वाहनधारक यात्रियों को निचे उतारते है. और बाद में दुबारा यात्रियों को वाहन में बिठाकर सफर करते है. जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बड़े गांवों में यातायात कर्मियों की नियुक्ति करने की मांग की जा रही है.