
कुरखेडा. जन्म लेते ही ममता की छांव छिन गई, ऐसे में कढोली के जिला परिषद स्कूल में शिक्षारत शिवदास बेनिराम नेवारे इस बालक को दृष्टीदोष होने के कारण अनेक समस्याओं का सामना करना पड रहा था. इस मासूम बच्चे की दृष्टी वापिस लौटाने हेतु प्रयासरत रहनेवाले डा. जगदीश बोरकर के प्रयासों से तथा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ कार्यक्रम अंतर्गत उसपर सफल शल्यक्रिया होने से शिवदास को यह विश्व देखने हेतु नई दृष्टि मिली है.
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ पथक उपजिला अस्पताल कुरखेडा की ओर से कढोली जिप स्कूल में विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच की गई थी. उक्त जांच के दौरान शिवदास नेवारे यह स्कूल में नहीं था. ऐसे में उसे घर से बुलाकर वैद्यकीय अधिकारी डा. जगदीश बोरकर ने जांच की. जांच के पश्चात उसके दोनों आंखो से नहीं दिखने का निदान हुआ. शिवदास को बायलाटरल कॅट्रॅक्ट यह वैद्यकीय स्थिती होने का प्राथमिक निदान हुआ. इसपर उचित उपचार करने पर उसकी दृष्टी वापिस लौट सकती है, ऐसा विश्वास डा. बोरकर को था.
आगामी उपचार हेतु बाल स्वास्थ्य दस्ते के माध्यम से संदर्भीत कर जिला अस्पताल गड़चिरोली में ले जाकर नेत्र रोगतज्ञ मार्फत बालक की जांच करने पर उसपर शल्यक्रिया करने का सुझाव दिया गया. जिसके तहत शिवदास को नागपुर में शल्यक्रिया हेतु ले जाने का निर्णय लिया गया. किंतु शिवदास के अशिक्षित पिता की वित्तीय स्थिती कमजोर होने से वे उपचार कर पाऐंगे क्या ? इस संदर्भ में संदेह था.
शिवदास के दादा-दादी भी वृद्ध होने से गांव के शालेय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष तथा शालेय शिक्षकों की मदद से कुरखेडा उपजिला अस्पताल के एम्बुलंस से डा. बोरकर ने शिवदास को नागपुर के सुरज आय इन्स्टिट्टयूट में दाखिल किया. वहां के तज्ञ वैद्यकीय दल द्वारा सफल शल्यक्रिया की गई. अंतत: बाल स्वास्थ दल के व्यापक परीश्रम से शिवदास को नई दृष्टि मिलने से उनका जीवन प्रकाशमय हुआ. बालक पर सफल शल्यक्रिया के लिए जिला शल्य चिकित्सक डा. अनिल रुडे, डा. बागराज धुर्वे, डा. सोलंखी, उपजिला कुरखेडा के वैद्यकीय अधिक्षक डा. अमित ठमके, बाल स्वास्थ्य के वैद्यकीय अधिकारी डा. जगदिश बोरकर के साथ स्कूल के मुख्याध्यापक पृथ्वीराज बोरकर व अन्य शिक्षकों का सहयोग मिला.