जंगली हाथियों के लिए पश्चिम बंगाल का दस्ता हुआ दाखिल

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    • – 2 माह से हाथी जिले के निवासी 
    • – कढोली-सावलखेडा परिसर में हाथीयों का संचार कायम 

    गड़चिरोली. बाहरी राज्य से जिले में प्रवेश करनेवाले जंगली हाथियों के जिले में निवास को करीब 2 माह का समय पूर्ण हो रहा है. गड़चिरोली वनविभाग की ओर इन हाथियों ने अब वड़सा वनविभाग में प्रवेश किया है.

    इस परिसर में भी हाथियों का उत्पात शुरू है. इस दौरान इन हाथियों के बंदोबस्त के लिए वनविभाग ने पश्चिम बंगल से कए दस्ते को बुलाया है. इस दस्ते द्वारा हाथियों के झुंड का आक्रमण रोकते हुए गांव व खेत परिसर से दूर रखने का प्रयास किया जानेवाला है. ऐसी जानकारी है. 

    2 माह पूर्व जिले में दाखिल हुए जंगली हाथियों ने शुरूआत में धानोरा उत्तर वनक्षेत्र के मुरूमगांव जंगल परिसर में बसेरा किया था. इसके बाद इन हाथियों का झुंड 2 गुटों में विभाजित हुआ. उक्त हाथियों के झुंड का मार्गक्रमण जारी है. इसमें से एक हाथियों का झुंड मार्गक्रमण करते हुए वडसा वनविभाग में निवास करने का दिखाई दे रहा है.

    वडसा वनविभाग अंतर्गत देसाईगंज, आरमोरी, कुरखेडा तहसील के जंगल परिसर में इन हाथियों का संचार शुरू है. अनेक किसानों के फसलों के साथ मकानों का इन हाथियों ने नुकसान किया है. उक्त जंगली हाथियों का झुंड शुरूआत में गड़चिरोली वनविभाग के कर्मचारियों का टेंशन बढापया था. मात्र अब इन हाथियों ने वडसा वनविभाग की ओर अपना मोर्चा मोडने से वडसा वनविभाग की जिम्मेदारी और बढ़ गई है. ऐसे में वनविभाग ने इन हाथियों के बंदोबस्त के लिए पश्चिम बंगाल से दस्ते को बुाएं जाने की जानकारी है.

    इस दस्ते में विशेष प्रशिक्षित ऐसे 8 से 9 लोगों का समावेश है. इस दस्ते द्वारा जंगली हाथियों को गांव में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया जानेवाला है. उनका आक्रमण रोकने की महत्वपूर्ण जिम्मा रहनेवाला है. उक्त दस्ता हाथियों के पिछे होकर अबतक इन हाथियों पतां नहीं चल पाया है. ऐसी जानकारी है. विगत 2 माह के कालावधि में जंगली हाथियों ने मार्गक्रमण में अनेक खेतफसलों का नुकसान करने से उक्त दस्ता नुकसान टालने क लिए कितना सफल होती है, यह देखना है. 

    दस्ते पर हाथियों को रोकने की जिम्मेदारी 

    फिलहाल जंगली हाथियों का कढोली-सावलखेडा परिसर में संचार शुरू है. इन हाथियों पर वनकर्मी निरंतर नजरे बनाएं हुए है. इस दौरान इन हाथियों ने गांव में प्रवेश न करे तथा उनका आक्रमण रोककर उन्हे वापिस खदेडने के लिए पश्चिम बंगाल से एक दल बुलाया गया है. 5 से 6 दिन पूर्व उक्त दसता दाखिल हुआ है.

    उक्त हाथियों का झुंड गांव में प्रवेश न करे, अधिक से अधिक नुकसान टालने के लिए उक्त दस्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाला है. इस दस्ते द्वारा हाथियों को गांव से दूर भगाने का कार्य किया जा रहा है. मनोज चव्हाण, सहाय्यक उपवनसंरक्षक, वडसा वनविभाग

    ब्रम्हपूरी से हाथियों का वापसी का सफर 

    कुछ दिन पूर्व इन हाथियों ने वैनगंगा नदी के मार्ग से ब्रम्हपूरी तहसील की ओर अपना मोर्चा मोडा था. इस दौरान यह हाथी फिर से उसी मार्ग से वडसा वनविभाग में प्रवेश करने से हाथियों का फिर से वापसी का सफर शुरू तो नहीं हुआ ऐसा सवाल निर्माण हो रहा है.

    आज तड़के के दौरान इन जंगली हाथियों का झुंड फिर से कढोली-सावलखेडा परिसर में पाया गया है. निरंतर इन हाथियों द्वारा फसलों का नुकसान किया जा रहा है. जिससे इस परिसर के किसान चिंता में घिर गए है. 

    धान के साथ मुंगफल्ली का नुकसान 

    आज, 18 दिसंबर को तड़के के दौरान हाथियों के झुंड ने कक्ष क्र. 1139 के खेत परिसर में उत्पात मचाते हुए 12 से 13 किसानों का नुकसान करने की जानकारी है. धान फसलों के साथ हाथियों ने मुंगफल्ली का भी नुकसान करने से किसान हताश हुआ है.

    इस दौरान पार्वताबाई चिंतू, रंदये, महानंदा चिंतू रंदये, धर्मा पांडूरंग शिकतोडे, लाखलू, सिताराम चुधरी, शत्रुघन परसराम रंदये, निलकंठ सुकरु वाघ आदि समेत 12 से 13 किसानों का व्यापक नुकसान हुआ है. घटना की जानकारी मिलते ही देलनवाडी वनपरिक्षेत्र अधिकारी दाने व उनके दल ने घटनास्थल पर पहुंचकर नुकसान का पंचनामा किया. इस दौरान मुख्य वनसंरक्षक किशोर मानकर, उपवनसंरक्षक सालविठ्ठल व उनके दल ने घटनास्थल को भेट देते हुए नुकसान का प्रत्यक्ष निरीक्षण कर पंचनामे करने के निर्देश है.