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    गड़चिरोली. 18 वीं सदी में स्त्री शिक्षा की निवं रखनेवाली क्रांतीज्योती सावित्रीबाई फुले ने सभी के विरोध क सामन कर महिलाओं के लिए शिक्षा के दरवाजे खुले किए. किंतु 21 वीं सदी में भी छात्राओं के शिक्षा की राह आसान नहीं है. आज भी ग्रामीण, दुर्गम क्षेत्र में छात्राओं के शिक्षा की राह मुश्किल होने की स्थिती है. 

    एक ओर क्रांतिज्योती सावित्रीबाई का जन्मदिन बालिका दिवस के रूप में सर्वत्र मनाया जाता है. दुसरी ओर इन्ही सावित्री के बेटीयों को शिक्षा के लिए व्यापक परेशानी झेलनी पडती हे. छात्राओं की शिक्षा हेतु अनेक योजना शुरू किए गए हे. किंतु उसके प्रभावी अंमल होती दिखाई नहीं देती है. खासकर शालेय स्तर पर भी छात्राओं के लिए स्वतंत्र भौतिक व आवश्यक सुविधा आपूर्ति की ओरअनदेखी की जाती है. शहरी क्षेत्र में इस ओर ध्यान दिया जाता है, किंतु ग्रामीण क्षेत्र में भयावह स्थिती है. जिस कारण छात्राओं के शिक्षा के राह में अनेक मुश्किले आ रही है. गड़चिरोली जिला यह अतिसंवदेनशील, दुर्गम व नक्सलग्रस्त के रूप में पहचाना जाता है.

    जिले के ग्रामीण व वनव्याप्त क्षेत्रके छात्राओं को स्कूल में आने के लिए आज भी कोई सुविधा नहीं हे. अधुरी यातायात व्यवस्था तथा नियोजन के अभाव में छात्राओं को जो मिले उस वाहन में सफर करना पड रहा हे. सरकार की ओर से छात्राओं के सफर हेतु मानव विकास सेवा की गिनेचुने रपनि की बसे है. उसमें भी छात्राओं के अलावा अनय यात्रियों को बिठाकर यातायात की जाती है. सफर के दौरान छात्राओं को अनेक समस्याओं का सामना करना पडता है. माध्यमिक शिक्षा लेनेवाले छात्राओं को शिक्षा अर्जित करने अनेक मुश्किलों को पार करना पडता है.

    एक तो छात्राओं के शिक्षा को लेकर अभिभावक ही आग्रही नहीं होते है, जो छात्राएं स्कूल जाती है, उन्हे स्कूल पहुंचने के लिए जर्जर सफर करना पडता है. जिले के ग्रामीण अंचल में स्कूल में नियमित सफर करनेवाले छात्राओं के सुरक्षित सफर की जिम्मेदारी के तौर पर वाहनचालकोंके लिए सरकारद्वारा नियमावली घोषित की है. इसमें वाहन की आसन क्षमता, सुरक्षा हेतु विशेष ध्यान संदर्भ में स्पष्ट निर्देश दिए गए है. किंतु इन सभी नियमों की ओर अनदेखी हो रही है. 

    कहां करे शिकायत?

    छात्राओं कोउनके संदर्भ में लगनेवाले असुरक्षितता के संदर्भ में निसंदेह रूप से शिकायत कर पाए, इसके लिए स्कूलों में शिकायत पेटीया लगाने के आदेश राज्य के शालेय शिक्षा विभाग ने जारी किया था. यह शिकायत पेटीया प्रवेशद्वार के समिप सभी को दिखे, इस स्थिती में लगाना अनिवार्य था. इन पेटीयों में शिकायत करनेवालों के नाम गुपत रहेगा. स्कूल के छात्राएं, महिला शिक्षिका अपनी लैंगिक छेडखानी की शिकायते होने पर वह महिला शिकायत निवारण समिति की ओर दे,ऐसी बात परिपत्रक में दर्ज थी. किंतु अधिकांक्ष स्कूलों में इस तरह की शिकायतपेटीयां ही नहीं है. जिससे छात्राएं शिकायत कहां करे, ऐसा सवाल निर्माण हो रहा है. 

    1 रूपया भी क्यों देते हो ?

    ग्रामीण स्कूलों में पहली से चौथी तक शिक्षारत गरीबीरेखा के निचे तथा आदिवासी क्षेत्र बाहर के अनुसूचित जाति, जनजाति, घुमंतू जनजाति के छात्राओं को प्रती विद्यार्थी प्रतिदिवस एक रूपया प्रोत्साहन उपस्थिती दिया जाता है. किंतु 30 वर्षो से इस भत्ते में 1 रूपये की भी वृद्धि नहीं की गई. महंगाई के कारण शैक्षणिक साहित्यों की किंमते बढ गए है. किंतु योजना का भत्ता बढाने हेतु सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं हो रहा है. छात्राओं को अब भी महज 1 रूपया ही मिल रहा है. जिससे यह एक रूपयां भी क्यों देतो हो, ऐसा सवाल अब पुछा जाने लगा है.