खदान विरोधी आंदोलनकारी आदिवासियों ने रोजगार के लिए लढाई नामी शक्कल, आज धरना स्थल पर होगा 16 करोड़ के तेदूपान की नीलामी प्रक्रिया

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गडचिरोली: एट्टापल्ली तहसील में दामकोंडावाही, बेसेवाड़ा, वालवी, मोहंदी, गुड्जुर, नागलमेटा और पुस्के के साथ सूरजगढ़ की पहाड़ियों से लौह अयस्क के भारी खनन के खिलाफ आदिवासियों पिछले महीने से तोडगट्टा में आंदोलन शुरू है़.  ऐसे में  अपनी रोजी-रोटी को लेकर चिंतित आदिवासियों ने इस समस्या का हल निकाला है़. और धरना स्थल पर तेंदूपत्ता नीलामी कर सभी के हाथों में काम देने की योजना बनाई है. इसमें 63 गांवों के आदिवासी हिस्सा लेंगे़  बुधवार 5 अप्रैल को विभिन्न ग्राम सभाओं द्वारा सामूहिक रूप से तेंदूपत्ता नीलामी प्रक्रिया की जाएगी़  इस नीलामी से आदिवासियों को 16 करोड़ 36 लाख 22 हजार रुपये मजदूरी मिलनेकी आशंका है़. 

तेंदूपत्ता, जो ग्राम सभाओं को राजस्व प्रदान करता है, और मजदूरों के हाथों को काम देता है, 7 ग्राम पंचायत क्षेत्रों के 63 गांवों की ग्राम सभाओं द्वारा आयोजित किया गया है़. इसलिए प्रदर्शनकारी आदिवासी मजदूरों में उत्साह देखा जा रहा है. सूरजागढ़ स्थानीय परंपरागत गोटूल समिति एवं दमकोंडावाही बचाव संघर्ष समिति की ओर से 11 मार्च से सुरजागढ़ सहित विभिन्न पहाड़ियों पर लौह अयस्क का खनन एवं अन्यमांग को लेकर छत्तीसगड सीमा के तोडगट्टा में ठिया आंदोलन चल रहा है़.  एक माह बीत जाने के बाद भी प्रशासन की ओर से कोई समाधान नहीं निकलने के कारण आदिवासियों का आंदोलन जारी है.

ये हैं प्रदर्शनकारियों की मांगें

गट्टा से तोड़गट्टा अंतर्राज्यीय सड़क का निर्माण न हो, आदिवासी पेसा अनुसूचित क्षेत्र में पुलिस कैंप न लगे, चिकित्सालय, स्कूल, कॉलेज का निर्माण  हो, डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी, शिक्षककी नियुक्ती करे , आदिवासी गावो  में ग्राम सेवकों, तलाठी जैसे अधिकारियों व कर्मचारियों के रिक्त पदों को भरा जाए, भौतिक व मूलभूत सुविधाएं सृजित की जाएं.

इस आंदोलन में क्षेत्र के 70 से 80 गांवों की ग्राम सभाएं व हजारों आदिवासी नागरिक  खुले आसमान में चूल्हे जलाकर पेट भर रहे हैं. और सुबह आठ से शाम पांच बजे तक धरना दे रहे हैं. रात में भी वही खुले आसमान के नीचे, घने जंगलों में, खूंखार जानवर, जहरीले जीव कीड़ों से जीवन को खतरे के डर के बिना आंदोलन कर रहे है़.

आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पडेगा, इसलिए सुजाया उपाय

सूरजागढ़ स्थानीय क्षेत्र के गट्टा, वांगेतुरी, गाडेवाड़ा, जवेली (खुर्द), जाम्बिया, पुरसालगोंदी और मेढरी क्षेत्रों के हजारों नागरिक पिछले 1 महीनो से आंदोलन में  हैं. तेंदूपत्ता का कारोबार हाथ से न निकल जाए, इसके लिए यह निर्णय लिया गया है. ऐसे में मेहनतकश नागरिक साल में एक बार नगद कमाने वाले तेंदूपा को जमा कर बेचने के रोजगार से वंचित नहीं रहेंगे.

उप परियोजना के रूप में सूरजगढ़ स्थानीय परंपरागत गोटूल समिति एवं दमकोंडावाही बचाव आंदोलन के अध्यक्ष रमेश कवड़ो, स्थानीय मुखिया साेनू गोटा, स्थानीय सचिव लक्ष्मण नवाडी, मंगेश नरोटे, उलगे तिम्मा, प्रदीप हेडो, सायनू हिचामी, कोट्टूराम पोतावी, नितिन पाड़ा, शीला गोटा, मंगेश हेडो, सुशीला नरोटे, सविताकौशी, सुशीला तिग्गा, सुनीता कावड़ो एवं प्रदर्शनकारी नागरिकों ने विचार-विमर्श किया और सर्वसम्मत प्रस्ताव पर सहमति बनी, तेंदूपा ने धरना स्थल पर संग्रहण एवं विक्रय नीलामी की प्रक्रिया आयोजित की है, अत: यह निश्चित है कि प्रदर्शनकारी नागरिकों को नगदी दिलाने वाला तेंदूपा, संग्रहण एवं विक्रय के लेन-देन में किसी प्रकार का आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पडेगा. इसलिए प्रदर्शनकारियों में उत्साह है.

प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन को दी चेतावनी

संविधान, पंचम अनुसूची, पेसा और वन अधिकार अधिनियम द्वारा दिए गए आदिवासी रीति-रिवाजों, परंपराओं, जल, जंगल और भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए, सरकार द्वारा स्वीकृत और प्रस्तावित सभी लौह अयस्क खदानों के पट्टे तत्काल रद्द किए जाएं और हमारी मांगों को स्वीकार किया जाए, नहीं तो हम अनिश्चितकाल तक आंदोलन जारी रखेंनेकी चेतावनी आदिवासियों ने प्रशासन को दी है.