Water Crisis, Sironcha, Gadchiroli

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गडचिरोली. जिले के आखिरी छोर पर बसा सिरोंचा तहसील जिसका अधिकांश इलाका नदियों से घिरा हुआ है. तहसील के बड़े क्षेत्रफल पर प्राणहिता, इंद्रावती व गोदावरी इन नदियों का बहाव जारी है. लेकिन इतने बड़े भूभाग पर नदियों की उपस्थिति के बावजूद कुछ क्षेत्र के लोग आज भी यहां झरने से प्यास बूझाने को मजबूर है. इनमें विशेषत: वो क्षेत्र हैं, जहां से सरकार प्राकृतिक संसाधनों के जरिए खासा आय अर्जित करती हैं. किंतु इन क्षेत्र के लोगों को अब भी 12 महीने स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं हुआ है. लोग मजबूरन पास के नालों पर झरनों के सहारे प्यास बूझाते हैं. यह चित्र तहसील के मादाराम, कोप्पेला, कोर्ला, पातागुड़म, सोमनपल्ली, एडसिली, कर्जेल्ली, किष्टय्यापल्ली, चुटूर, परसेवाड़ा, रायगुड़म, पेंडियाला आदि गांवों में आसानी देखे जा सकते हैं.

गर्मी दिनों से पहले ही पानी की समस्या

तहसील के इस क्षेत्र में फरवरी माह से ही सार्वजनिक बोरवेल और कुओं का जलस्तर घटने लगता है. जिसके चलते गर्मियों दिन शुरू होने के पूर्व ही ग्रामीणों को जलसंकट का सामना करना पड़ता है. इस दौरान क्षेत्र के बोरवेल और कुएं सफेद हाथी बन जाते हैं. इनका इस्तेमाल करना मानो रेत से सुई ढुंढ निकालने जैसा है. मजबूरी में लोगों को पास के नालों पर खुदाई कर झरने के पानी से प्यास बूझाना पड़ता है. हालांकि, सरकार इन क्षेत्रों में सार्वजनिक बोरवेल खोदकर सुविधा मुहैया कराने की दिशा में प्रयासरत है. किंतु जब इनमें से पानी न निकले तो ये प्रयास बौने साबित होने लगते हैं. दूसरी तरफ इन क्षेत्रों में अन्य विकल्प न होने के कारण सरकार भी इस समस्या के सामने नतमस्तक होती नजर आ रही है. यह कहना भी गलत नहीं होगा कि शायद प्रशासन व सरकार के पास यह जानकारी भी नहीं होगी कि, तहसील में मौजूद बोरवेल में से गर्मियों में कितने काम करते हैं.

गर्मी में गहराता है भीषण संकट 

तहसील के अधिकांश क्षेत्रों के बोरवेल का पानी लौहयुक्त होकर यह पानी पीने से स्वास्थ्य पर विपरित परिणाम होने की संभावना जताई जा रही है. खासकर तब गंभीर होती है, जब गर्मियों में तेंदूपत्ता और महुआ फूलों का संकलन शुरू होता है. गर्मी के दिनों में अधिकांश ग्रामीण नजदीकी जंगलों की ओर निकल पड़ते हैं. तब पीने के पानी की आवश्यकता होती हैं. लेकिन बोरवेल व कुएं का जलस्तर घटने से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. तहसील की अनेक ग्राम पंचायतें हैं जो गर्मियों के दिनों में सुखाग्रस्त हो जाती है. यह समस्या पिछले अनेक दिनों से जस की तस है. किंतु इसके निवारण हेतु अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए. जिससे आज भी तहसील के ग्रामीणों को गर्मियों के दिन आरंभ होने के पूर्व से ही भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ता है.