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गोंदिया.  जिले में इस दौरान धान फसल की कटाई जोरों पर चल रही है. लेकिन मजबुरीवश किसान मजदूरों को जंगली जानवरों के साये में यह कार्य करना पड़ रहा है. जिले की सालेकसा, आमगांव, देवरी, अर्जुनी मोरगांव, सड़क अर्जुनी व गोरेगांव तहसील का क्षेत्र जंगलों से व्याप्त है. जहां कभी भी वन्य प्राणियों का डर बना रहता है.

वहीं रात्रि के दौरान धान फसल के साथ ही अन्य फसलों को वन्यजीवों द्वारा भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. इसके कारण किसान अब नकदी फसलों से मुंह मोड़ने का मानस बना रहे है. दूसरी ओर लगातार वन्य जीवों की घटनाओं के कारण सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. बार-बार हो रहे नुकसान के बावजूद किसानों को कोई आर्थिक मदद नहीं मिल रही है. परिणामस्वरुप कई किसान पुन: पारंपरिक धान की खेती की ओर रुख कर रहे हैं.

कृषि विभाग की सलाह है कि जिले के धान किसानों को अपनी आजीविका के लिए नकदी फसल की ओर रुख करना चाहिए. लेकिन जंगली जानवरों की बढ़ती समस्या और खाद की बढ़ती लागत के कारण किसानों को एक बार फिर से धान की पारंपरिक खेती का विकल्प चुनना पड़ रहा है. खेतों में जंगली सुअरों व बंदरों की बढ़ती संख्या से किसानों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं. जिससे किसानों को खेतों में दहशत के साये में रहना पड़ रहा है. जिले में किसान नकदी फसल के रूप में अन्य फसलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. लेकिन विभाग से सहयोग न मिलने और सरकार की ओर से बकाया भुगतान न होने के कारण किसानों का नकदी फसलों की ओर रुझान कम हो रहा है. 

वन्य जीवों का बढ़ रहा अधिवास 

धान, सब्जियां, ककड़ी, मिर्च जैसी फसलों से खेतों में जंगली जानवरों की संख्या बढ़ जाती है. परिणामस्वरूप हिरण, जंगली सूअर, नीलगाय, बंदरों के झुंड हरे चारे और पानी के लिए सुरक्षित स्थान के लिए ऐसी फसलों की ओर अपना रुख करते हैं. रात में शिकार करने के लिए भालू, खरगोश, जंगली सूअर, तेंदुए और भेड़िये भी उनके पीछे-पीछे आते हैं. जिसके कारण जिले में कई स्थानों पर किसानों और खेतिहर मजदूरों पर जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं बढ़ गई हैं.

कुछ प्रमाण में मिलती है मदद

पिछले कुछ वर्षों में लगातार बारिश की अनियमितता के कारण किसानों की आय घटी है. साथ ही जिले में किसानों के धान, मिर्च, गन्ना, ककड़ी व अन्य फसलों की खेती के रकबे में भी कमी आई है. सरकार की ओर से गारंटी भाव नहीं मिलने से किसानों के लिए दिन-ब-दिन बढ़ती उत्पादन लागत के कारण खेती करना मुश्किल हो रहा है. सरकार द्वारा अल्प सहायता प्रदान की जाती है. जिससे अतिरिक्त लागत किसानों के लिए वहन करने योग्य नहीं है. फसल सुरक्षा और उपाय भी किसानों के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं.