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    गोंदिया. जिप की शालाओं के दर्जे पर हमेशा प्रश्न चिन्ह निर्मित किया जाता है  लेकिन इसके लिए जवाबदान कौन ? इस प्रश्न का उत्तर खोजते समय शासन की शिक्षण विरोधी भूमिका पर किसी का ध्यान दिखाई नहीं देता है. जिप  शिक्षा विभाग शिक्षकों के अभाव में फंस गया है. जिससे प्रथम चरण में शिक्षकों की कमी से शैक्षणिक दर्जे का मुख्य कारण साबित होने लगा है. इसके अलावा शैक्षणिक नीती और काम चलाऊ शिक्षण इन दोनों बातों के लिए भी जिम्मेदार है. जिप  शिक्षण विभाग में हर वर्ष 200 से अधिक शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे है. पिछले 10 वर्षो में उंगली पर गिनने लायक 37 शिक्षक भरती किए गए है. इसके अतिरिक्त शिक्षक भरती नहीं की गई.

    जिले में जिप के शिक्षा विभाग का जाल फैला है. गांव गांव में जिप की शाला निर्माण की गई है. जिले में लगभग 1500 से अधिक जिप की प्राथमिक शाला है. इन शालाओं में लाखों से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ले रहे हैं. जबकि जिप की शालाओं का शैक्षणिक दर्जा व गुणवत्ता  पर अनेक वर्षो से प्रश्न चिन्ह निर्मित किया जा रहा है. इसी तरह कम होती पट संख्या को भी जिम्मेदार माना जा रहा है. इसके पीछे अनेक कारण हैं फिर भी विभाग को शिक्षकों की कमी का ग्रहण लगा है. जिप के 200 से अधिक शिक्षक हर वर्ष निवृत्त हो रहे हैं.

    इसके विपरित जिप में एक भी शिक्षक की भरती नहीं की जा रही है. जिससे एक शिक्षक पर अनेक कक्षाओं का भार है. इसके अलावा राज्य शासन की शैक्षणिक नीति व हर दिन निकलने वाले परिपत्रक और उसका क्रियान्वयन आदि विषयों में लिप्त शिक्षकों से शैक्षणिक दर्जा कैसे उठेगा. ऐसा सवाल खड़ा हो रहा है. इसी तरह की स्थिति आगामी काल में कायम रही तो जिले की जिप शाला शिक्षकों के अभाव में और कमजोर हो जाएगी. इस पर कोई आश्चर्य नहीं होगा.

    4 महीने में 69 शिक्षक होगे सेवानिवृत्त

    सन 2022 इस शैक्षणिक सत्र में 207 शिक्षक सेवानिवृत्त होगे. जनवरी से अगस्त तक जिप शाला में कार्यरत 138 शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए हैं. इसमें जनवरी महीने में 1, फरवरी महीने में 5, मार्च में 24, अप्रैल में 12, मई में 14, जून में 30, जुलाई में 10 व अगस्त महीने में 31 सेवानिवृत्त शिक्षकों का समावेश है. वहीं आगामी 4 महीने में 69 शिक्षक सेवानिवृत्त होने वाले हैं. जिसमें सितंबर को 12, 31 अक्टुबर को 23, 31 नवंबर को 18 व 31 दिसंबर 2022 को 16 शिक्षक सेवानिवृत्त हो जाएंगे.

    जिप की शालाओं का भविष्य खतरे में

    जिप की शाला ग्रामीण क्षेत्र के लिए शिक्षा का मंदिर है लेकिन इन शालाओं को योजनाबद्ध तरीके  से समाप्त करने का षडयंत्र रचा जा रहा है. शाला में शिक्षा देने वाले शिक्षक पद ही समाप्त करने का काम शुरू है. इसमें पिछले अनेक वर्षो से शिक्षक भरती रूकी है. जिससे जिप शाला में शिक्षकों की संख्या हर वर्ष कम हो रही है. इसका बड़ा असर भी दिखाई दे रहा है. विद्यार्थी व शिक्षकों में बड़ी खाई निर्मित हो गई है. इसका असर शैक्षणिक दर्जे पर पड रहा है. जिससे आगामी काल में जिप शालाओं का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. ऐसा शिक्षा  तज्ञों का मानना है.