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    गोंदिया. दीपावली पर्व का दूसरा त्यौहार नरक चतुर्दशी आज 3 नवंबर  को मनाया जाएगा. पंडित महेंद्र शर्मा के अनुसार इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान न करने वाला नरक का भागी माना जाता है. वहीं नरक चौदस के दिन यमराज के अलावा हनुमान पूजा, श्रीकृष्ण पूजा, काली पूजा, शिव पूजा और भगवान वामन की पूजा की जाती है.

    मान्यता के अनुसार इस दिन इन 6 देवों की पूजा करने से समस्त प्रकार की परेशानियों मिट जाती हैं. दरअसल पांच दिवसीय पर्व दीपावली के पहले दिन धनतेरस के बाद दूसरे नंबर पर नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है. इसे रूप चौदस या काली चौदस भी कहा जाता है. वहीं कृष्ण चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार 3 नवंबर को सुबह 09:02 बजे से चतुर्दशी तिथि शुरू होगी. वहीं इसका समापन बृहस्पतिवार, 04 नवंबर को सुबह 06:03 बजे होगा.

    इन 6 देवों का होता है पूजन

    1. यम पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन यम पूजा की जाती है. इस दिन रात में यम पूजा के लिए दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के कोने में जलाकर रखा जाता है. इसे यम दीपक भी कहते हैं. मान्यता है क इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है.

    2. काली पूजा – नरक चतुर्दशी के दिन काली पूजा भी की जाती है इसके लिए सुबह तेल से स्नान करने के बाद काली की पूजा करने का विधान है. यह पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है.

    3. श्रीकृष्ण पूजा- मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षम का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था. इसीलिए इस दिन की भी पूजा की जाती है.

    4. शिव पूजा-  नरक तुर्दशी के दिन के दिन शिव चतुर्दशी भी मनाई जाती है. इस दिन शंकर भगवान को पंचामृत अर्पित करने के साथ माता पार्वती की भी पूजा की जाती है.

    5. हनुमान पूजा- मान्यताओं के अनुसार इस दिन हनुमान जयती भी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाता हैं.

    6. वामन पूजा- दक्षिण भारत में नरक चतुर्दशी के दिन वामन पूजा का भी प्रचलन है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन राजा बलि को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था.

    नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त :

    अमृत काल- 01:55 AM से 03:22 AM तक, ब्रह्म मुहूर्त 05:02 AM से 05:50 AM तक, विजय मुहूर्त 01:33 PM से 02:17 PM तक, गोधूलि मुहूर्त- 05:05 PM से 05:29 PM तक, सायाह्न संध्या मुहूर्त 05:16 PM से 06:33 PM तक, सर्वार्थ सिद्धि योग 06:07 AM से 09:58 AM, निशिता मुहूर्त- 11:16 PM से 12:07 AM तक.

    दिन का चौघड़िया : लाभ : 06:38 AM से 08:00 AM तक, अमृत : 08:00 AM से 09:21 AM तक, शुभ: 10:43 AM से 12:04 PM तक, लाभ : 04:08 PM से 05:30 PM तक, रात का चौघड़िया : शुभ: 07:09 PMसे 08:47 PM तक, अमृत: 08:47 PM से 10:26 PM तक, लाभ : 03:22 AM से 05:00AM तक.