अब हर एक शाला में शिक्षक होंगे डॉक्टर

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    गोंदिया.  कोरोना का संक्रमण नियंत्रण में आने से सभी व्यवहार अब सुचारू रुप से शुरू हो गए है. इसी के चलते  शासन ने शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की 5वीं से 8वीं तक शाला शुरू करने का निर्णय लिया है. इन शालाओं को शुरू करते समय विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की चिंता करनी पडेगी. इसके लिए हर एक शाला में संभव होने पर हेल्थ क्लिनिक शुरू करने की सूचना राज्य के उप सचिव ने दी है.

    जिससे डाक्टरो के काम अब शिक्षकों को करना पडेगा. शासन के शाला शुरू करने के निर्णय के बाद सभी शाला शुरू हो गई है. फिर भी उन्हें आवश्यक बातों का ध्यान रखना पडेगा. इसके लिए हर एक शाला में हेल्थ क्लिनिक शुरू किए जाएंगे. जिससे विद्यार्थियों की नियमित स्वास्थ्य जांच होगी. 

    शिक्षकों की जिम्मेदारी 

    विद्यार्थियों को शाला में पैदल आने के लिए शिक्षकों को प्रोत्साहित करना है. शाला में एक सीट पर एक ही विद्यार्थी बैठेगा इसका ध्यान रखना है. स्कूल बस में चढते व उतरते समय विद्यार्थियों को सैनिटाइजर का उपायोग करने की सुचना दे, भोजन करने के बाद साबुन या सैनीटाइजर से हाथ धोने की सुचना शिक्षक देंगे, गृहपाठ शाला में ही करा ले, विद्यार्थियों के लिए गृहपाठ ऑनलाइन पध्दति से ले, वर्तमान स्थिति में कोई भी खेल न ले, बीमार विद्यार्थियों की खोज कर उसका विशेष ध्यान रखना होगा. 

    कौन करेगा हेल्थ क्लिनिक का खर्च 

    कोरोना काल के दौरान शाला शुरू होने के साथ आवश्यक उपाय योजना करने की सुचना की गई है. इसमें प्रमुखता से शाला में फैन, सैनिटाइजर, ऑक्सिमीटर, इन्फ्रारेड थर्मामीटर, दवाई, मास्क आदि की पूर्ति सीएसआर निधि से करने की सुचना की गई है. 

    हेल्थ क्लिनिक में क्या-क्या होगा

    विद्यार्थियों का नियमित तापमान गिनने के लिए थर्मामीटर, तापमान गन, उपचार के लिए डाक्टर, स्वास्थ्य सेविका की मदद ली जाएगी. सभी शाला स्वास्थ्य केंद्रों से संलग्न की जाएगी. हेल्थ क्लिनिक में स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टर व परिचारिका की मदद मिलेगी. तहसील वैद्यकीय अधिकारियों के संपर्क क्रमांक सभी मुख्याध्यापकों के पास रहेंगे. जिससे निकट के वैद्यकीय अधिकारियों की तत्काल मदद मिलेगी. शाला में अलग स्थान पर यह क्लिनिक शाला व्यवस्थापन समिति निर्माण करेंगे. इसके लिए गांव स्तर पर एक कमेटी तैयार की जाएगी. 

    पालकों का क्या कहना है 

    इस संबंध में पालक योगेश परिहार के अनुसार शाला शुरू हो गई है. लेकिन कोरोना समाप्त नही हुआ है. शाला शुरू करने के साथ शाला में हेल्थ क्लिनिक शुरू करने बात सराहनिय है. बच्चों को शाला में भेजने के बाद उसे बुखार आने पर शाला से तत्काल मदद मिलेगी. इसी तरह पालक रेमेश उके के अनुसार शाला में हेल्थ क्लिनिक खोलना उचित है. जबकि उसमें उपचार होना अत्यंत आवश्यक है. केवल नाम का हेल्थ क्लिनिक न हो. विद्यार्थी के शिक्षा के साथ ही स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है. इसके लिए यंत्रण खडी करना जरूरी है.