ST Strike
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    गोंदिया. 22 नवंबर से शाला नियमित शुरू हो गई है. लेकिन पिछले 46 दिनों से महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम में कार्यरत कर्मचारियों की शुरू हडताल से शाला के विद्यार्थियों की अनुपस्थिति पर असर पड़ रहा है. हड़ताल से विद्यार्थियों की अनुपस्थिति का प्रमाण बड़े पैमाने पर बढ़ा दिखाई दे रहा है.

    राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों ने ऐन दिवाली में अपनी विभिन्न मांगों को पूर्ण करने के लिए पिछले 45 दिनों से आंदोलन शुरू किया है. जिससे मानव विकास अंतर्गत चलने वाली बसों से शालाओं में आने जाने वाले विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है. ग्रामीण क्षेत्र के किसी भी गांव से छात्राओं को शाला में पैदल चलकर जाना न पडे इसके लिए शासन ने मानव विकास अंतर्गत बसेस योजना क्रियान्वित की है.

    इस योजना का लाभ हर एक गांव के विद्यार्थियों को हो रहा था. इतना ही नहीं शाला में प्रवेशित विद्यार्थियों की उपस्थिति भी बढ़ गई थी. जिससे शिक्षकों के सिर का भार कम हो गया था. लेकिन दिवाली की छुट्टियां समाप्त होने पर 22 नवंबर से शाला पूर्ववत शुरू हो गई है. जबकि छात्राओं की उपस्थिति कम हो गई है.

    इस संबंध में पुछताछ करने पर शाला प्रशासन ने बताया कि परिवहन निगम के कर्मचारियों के आंदोलन से मानव विकास अंतर्गत दौडऩे वाली बसेस बंद है. जिससे विद्यार्थियों को शाला में आने जाने के लिए दिक्कते हो रही है. 

    बस बंद होने से ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को निजी ऑटो या अन्य वाहन का सहारा लेना पड़ रहा है. लेकिन यह सब गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों के बस की बात नही होने से उन्हें प्रतिदिन आर्थिक रुप से परेशान होना पड़ता है. एक ओर शिक्षा को महत्व दिया जा रहा है वहीं बस हडताल के कारण पालकों को अपने बच्चों को शाला में भेजने के लिए निजी वाहन का सहारा लेकर प्रतिदिन पैसों का जुगाड़ करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है.

    दुसरी ओर  कुछ विद्यार्थी अपनी साइकिल से स्कूल पहुंच रहे है तो किसी के पास साधन नही होने से घर पर ही रह रहे है. कुछ विद्यार्थी अपने गांव से शहर में पढ़ने के लिए जाते है उन्हें और भी मुसिबत का सामना करना पड़ रहा है. वे साइकिल से शाला में पहुंच तो रहे है लेकिन वे भी मार्ग से चलते समय अपनी जान हथेली पर रहखकर चलते है.

    आए दिन हो रही दुर्घटनाओं का सामना भी उन्हें करना पड़ता है. यदि बस की हड़ताल न होती तो विद्यार्थियों को यह दिन देखने नही पड़ते. क्या इन सब स्थिति से सरकार अवगत नही है. क्या विद्यार्थियों की कम आयु में कठीन परीक्षा ली जा रही है ? 

    इसमें विद्यार्थियों के शैक्षणिक नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन होगा. ऐसा सवाल पालकों द्वारा उपस्थित किया जा रहा है. जिससे जल्द से जल्द एसटी कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त हो ऐसी अपेक्षा पालकों सहित विद्यार्थियों ने की है.

    निजी वाहन ज्यादा दर वसूल रहे 

    धापेवाड़ा गोंदिया निवासी डा.प्रदीप रोकड़े ने बताया कि सरकार ने एसटी कर्मचारी के साथ सकारात्मक चर्चा करके जल्द से जल्द बस शुरू करना चाहिए, स्कूल, कालेज के विद्यार्थियों को स्कूल जाने में काफी परेशानी हो रही है, साथ ही वरिष्ठ नागरिक व व्यापारियों को जाने आने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. निजी वाहन ज्यादा टिकट दर वसूल रहे हैं.

    एक यात्री से 40 से 50 रु. वसूल 

    रावणवाडी गोंदिया निवासी विवेक हरिणखेडे ने बताया कि बस शुरू नही होने से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को स्कूल जाने से वंचित रहना पड़ रहा है, ऐसे में निजी वाहन चालकों ने लुट मचा रखी है. 1 सवारी का 40 से 50 रुपए वसूला जाता है, यदि मानव विकास की बस जल्द शुरू की जाए तो बच्चों को इन परेशानियों से निजात मिलेगी.

    आम नागरिक भी परेशान 

    मुंडीकोटा निवासी मोबाईल व्यवसायी ने बताया कि एसटी बस बंद होने के कारण छात्रों के साथ ही आम नागरिक भी काफी परेशान हो गए है. ऐसे में एसटी बस जल्द शुरु करें ताकि जनसामान्य व्यक्ति को राहत मिल सके.

    करनी पड़ती है जोखिम भरी यात्रा 

    मुंडीकोटा निवासी जेरॉक्स व्यवसायी डिलेश नेवारे ने बताया कि एसटी हड़ताल शुरु होने के कारण एसटी बंद है. जिससे निजी वाहन का उपयोग करना पड़ता है. यह निजी वाहन जानलेवा भी हो सकते है. जोखिम भरी यात्रा नागरिकों को करनी पड़ रही है.

    विद्यार्थी व व्यापारी भी परेशान 

    बोदलबोडी सालेकसा निवासी मंगेश हत्तीमारे ने बताया कि एसटी बंद होने से क्षेत्र से अवागमन कर रहे सभी विद्यार्थी व व्यापारियों को परेशानियों का सामना करना पडता है जो निजी वाहन या किराए के वाहनों से समयानुसार अपना सफर करते हैं, सरकार ने अपनी अटकले छोडकर एसटी शुरू करनी चाहिए.

    दूर दराज के नागरिक परेशान

    सालेकसा निवासी मायकल मेश्राम ने बताया कि पिछले एक महीने से एसटी बस सेवा बंद होने से पिपरीया, चांदसुरज, बिजेपार व दूर दराज के नागरिकों को जाने- आने में दिक्कते हो रही है. एक ओर डीजल, पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे है. वहीं ऑटो से सफर करना याने जान हथेली पर लेकर चलने जैसा है, जिससे यहां के व्यापारी, किसान, विद्यार्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

    बस बंद होने से बड़ी समस्या 

    माल्ही आमगांव निवासी बुधराम बारसे ने बताया कि बस बंद होने से बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. खरीदी करने या बच्चों को स्कूल भेजने के लिए भी दिक्कते होती है. पेट्रोल महंगा होने से खर्चा भी बढ़ गया है. बस बंद होने से काफी परेशानियां झेलना पड़ रही है.

    जल्द से जल्द खत्म करे हडताल 

    सालेकसा निवासी लघु व्यवसायी सौरभ मारबदे ने बताया कि दुकान का कुछ सामान लेने जाने के लिए बस नही होने से समस्या पैदा हो गई है और आर्थिक स्थिति पर भी भार पड़ता है. एसटी कर्मचारियों द्वारा पिछले 45 दिनों से हड़ताल जारी है, उसे जल्द से जल्द खत्म कर आम नागरिकों के बारे में सोचना चाहिए. जिसकी वजह से नियमित बस शुरू हो और आम जनता को हलाकान न होना पड़े.

    विद्यार्थियों के लिए एक आफत 

    गोरेगांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विकास बारेवार ने बताया कि तहसील से गोंदिया शहर में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में विद्यार्थी आवागमन करते हैं, ऐसे में बस हड़ताल इन विद्यार्थियों के लिए एक आफत बनकर सामने आई है, यहां निजी वाहन चालकों ने भी टिकट दर बढ़ा दिया है जिसमें गरीब वर्ग के विद्यार्थियों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है. ऐसे में बस हड़ताल का बुरा असर शिक्षा क्षेत्र में भी पड़ने लगा है. राज्य सरकार तथा एसटी कर्मचारियों ने हड़ताल खत्म होने का रास्ता जल्द से जल्द निकालना चाहिए.

    सबसे बुरा असर ग्रामीण क्षेत्रों में 

    चोपा गोरेगांव निवासी बंटी किशोर गौतम ने बताया कि बस कर्मचारियों की हड़ताल का सबसे बुरा असर यहां ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित नागरिकों को पर भी हो रहा है. यहां गंभीर बीमारियों से पीड़ित बुजुर्ग वर्गों  को स्वास्थ्य की जांच कराने गोंदिया, गोरेगांव जैसे शहरों में नहीं जा पा रहे है, साथ ही सर्वसाधारण परिवार के विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है.

    पुरे डेढ़ महीने से यह हड़ताल चल रही है. राज्य सरकार व कर्मचारी दोनों ही अपनी जिद पर अड़े हैं ऐसे में इसका खामियाजा यहां आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है.

    एसटी एक सहज और सस्ता आवागमन

    काटी गोंदिया निवासी युवा मंच संस्थापक अध्यक्ष लुकेश बंशपाल ने बताया कि विगत डेढ़ माह से एसटी बस बंद होने से व्यापारियों, विद्यार्थियों, मजदूरों व बुजुर्गों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एसटी एक सहज और सस्ता आवागमन का साधन है, लेकिन विगत 45 दिनों से एसटी बस का बंद होना ऐसा प्रतीत होता है जैसा गांव और शहर के बीच की कड़ी का टूटना, जिससे ग्रामीणों को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से काफी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है.

    खासतौर पर व्यापारियों, विद्यार्थियों, मजदूरों व बुजुर्गों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति की गंभीरता को समझते हुए शासन और महामंडल को जल्द ही हल निकालना चाहिए। कोरोना काल के चलते पहले ही विद्यार्थियों का काफी नुकसान हो गया है, परीक्षा भी चंद महीनों बाद होने वाली है, सारी परिस्थिति को समझते हुए शासन व परिवहन महामंडल ने आपस में सुलह कर जल्द से जल्द पुन: एसटी सेवा बहाल करनी चाहिए.