Maharashtra Government
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

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महाराष्ट्र: मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) को लेकर महाराष्ट्र (Maharashtra) से एक बड़ी अपडेट सामने आ रही है। जैसा कि हम सब जानत हैं मराठा प्रदर्शनकारी मनोज जरांगे पाटिल (Manoj Jarange Patil) ने मांग की है कि मराठा समुदाय (Maratha Community) को तुरंत कुनबी प्रमाणपत्र (Kunbi Certificate) दिया जाना चाहिए। जरांगे ने इसके लिए सरकार को 24 दिसंबर तक की डेडलाइन दी है। वहीं दूसरी ओर, ओबीसी समुदाय ने मनोज जरांगे पाटिल की मांग का विरोध किया है।

क्या है बड़ी अपडेट

जानकारी के लिए आपको बता दें कि ओबीसी नेताओं ने कहा है कि सरकार (Maharashtra Government) को मराठा समुदाय को अलग से आरक्षण देना चाहिए और उन्हें ओबीसी में शामिल नहीं करना चाहिए। एक तरफ मनोज जरांगे पाटिल की मांग और दूसरी तरफ ओबीसी नेताओं की चेतावनी ने शिंदे-फडणवीस-पवार सरकार के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। एक मीडिया को मिले सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार मराठा आरक्षण के मुद्दे को हमेशा के लिए सुलझाने के लिए एक बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। 

क्या मराठा समुदाय के लिए बनेगा अलग कानून 

मराठा समुदाय (मराठा आरक्षण) को सीधे कुनबी प्रमाण पत्र देना संभव नहीं होगा, इसलिए महाराष्ट्र सरकार मराठा आरक्षण के लिए एक अलग कानून लाने की तैयारी कर रही है। ईडब्ल्यूएस तर्ज पर आने वाले नागपुर में होने वाले अधिवेशन में इस पर चर्चा होने वाली है। 

क्या सुलझेगा मराठा आरक्षण का मुद्दा 

ऐसे में अब संशोधित राज्य पिछड़ा वर्ग रिपोर्ट के अनुसार, आरक्षण के लिए विधानमंडल में कानून बनाया जा सकता है। इसलिए महाराष्ट्र सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में कानून पारित कराने की तैयारी कर रही है। अगर सरकार ऐसा कानून पारित कर देती है तो क्या मराठा आरक्षण का मुद्दा हमेशा के लिए सुलझ जाएगा? ऐसा सवाल अब बहुत से लोगों के मन में है।

इस स्थिति में मिल सकता है आरक्षण 

मीडिया सूत्रों के मुताबिक, मराठा समुदाय को आरक्षण तभी दिया जा सकता है जब राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग मराठा समुदाय के पिछड़ेपन को साबित कर राज्य सरकार को आरक्षण की सिफारिश करे। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इंद्रा साहनी मामले में कहा है कि यह सीमा तभी पार की जा सकती है, जब विशेष असाधारण परिस्थितियां हों। इसलिए मराठा समुदाय को पिछली बार की तरह अलग कैडर बनाकर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देना होगा। ऐसे में अब यह देखना होगा कि क्या वास्तव में अब जाकर मराठा आरक्षण को लेकर कोई फैसला आता है या नहीं।