Power consumption increased by about 6 percent this January

    Loading

    मुंबई: महाराष्ट्र के लिए एक और बुरी खबर है। बिजली मंत्रालय के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) पर बिजली कंपनियों (Power Companies) का सबसे ज्यादा 21,500 करोड़ रुपए बकाया है। महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु पर 20,990 करोड़ रुपए का दूसरा सबसे बड़ा बकाया है। महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) के प्रबंध निदेशक विजय सिंघल ने बताया कि लेखा प्रक्रिया में कुछ अंतर था और उनकी गणना के अनुसार, बकाया 13,500 करोड़ रुपए से अधिक नहीं था। 

    सिंघल ने कहा कि उन्होंने महाजेनको के प्रबंध निदेशक और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय किया है और अब इसमें सुधार करने के लिए एक बैठक होनी है।

    किसानों पर सबसे ज्यादा बिल

    प्रबंध निदेशक ने कहा कि हम अपने खातों और गणनाओं का ब्योरा देंगे, जिससे पता चलता है कि जेनकोस पर हमारा बकाया 13,500 करोड़ रुपए से अधिक नहीं है। MSEDCL, जो कि 2.8 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं के लिए राज्य की बिजली वितरण कंपनी है, को भी बिजली बिलों के माध्यम से पैसे की वसूली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, किसानों से बिल वसूलने में ज्यादा दिक्कतें आ रही हैं। उपभोक्ताओं से लंबित बिजली बिल भुगतान (सब्सिडी सहित) के रूप में इसका 60,000 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है। इसमें से 42,000 करोड़ रुपए राज्य के किसानों और कृषि भूमि के मालिक के बकाया बिल हैं।

    जल्द स्मार्ट मीटर स्थापित करने की तैयारी

    MSEDCL ने 39,000 करोड़ रुपए से अधिक की एक विशाल परियोजना शुरू की है, जिसमें राज्य भर में 1।66 करोड़ स्मार्ट मीटर स्थापित करने के लिए 11,105 करोड़ रुपए की परियोजना और बिजली वितरण घाटे को लगभग 4% कम करने के लिए 14,230 करोड़ रुपए शामिल हैं, जो 4,000 करोड़ रुपए का सालाना राजस्व लाएगा। सिंघल ने कहा कि कि स्मार्ट मीटर के साथ, लोगों को घर या कार्यालय/उद्योगों में बिजली खरीदने के लिए अपने सभी बकाया का भुगतान करना होगा। इससे हमारा बकाया काफी हद तक कम हो जाएगा।