st strike and anil parab

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    मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के परिवहन मंत्री अनिल परब (Minister Anil Parab) ने महाराष्ट्र सड़क परिवहन निगम (एसटी) के हड़ताली कामगारों को फाइनल अल्टीमेटम (Final Ultimatum) देते हुए 22 अप्रैल तक काम पर वापस लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान काम पर लौटने वाले कर्मचारियों की सभी गलती माफ़ करते हुए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। 

    अनिल परब ने कहा कि जो कर्मचारी 22 अप्रैल तक काम पर नहीं लौटते हैं तो समझा जाएगा कि उन्हें नौकरी (Job) की जरुरत नहीं है और बर्खास्तगी की कार्रवाई शुरू की जाएगी। उन्होंने यह प्रतिक्रिया बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद दी है। जिसमें उच्च न्यायालय ने भी एसटी कामगारों को 22 अप्रैल तक काम पर लौटने के निर्देश दिए हैं। परब ने हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि निश्चित समय के अन्दर काम पर वापस लौटने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाएगा। एसटी हड़ताल को लेकर गुरुवार को मुंबई हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

    मेमने की रक्षा जरुरी

    मुंबई हाई कोर्ट ने गुरुवार को एसटी हड़ताल पर सुनवाई करते हुए कहा कि मेमने और शेर के बीच की लड़ाई में, मेमने की रक्षा की जानी चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए एसटी के हड़ताली कर्मचारियों को काम पर वापस लौटने के लिए 22 अप्रैल तक नई डेडलाइन दी है। इससे पहले हाईकोर्ट ने काम पर लौटने के लिए 15 अप्रैल तक का समय दिया था। इस दौरान सरकार की ओर से बिना किसी कार्रवाई के डर के कर्मचारी काम पर वापस लौट सकते हैं। एसटी निगम ने कहा है कि उन कर्मचारियों को काम पर वापस लिया जाएगा, जिनके खिलाफ हिंसा, लोगों को घायल करने या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने समेत अन्य आपराधिक अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई है, हालांकि उनके खिलाफ प्राथमिकी में कार्यवाही कानून के अनुसार जारी रहेगी। पीठ ने कहा कि हम एक ही समय में सभी को बहाल करेंगे और हम इसे अपने आदेश से बदल देंगे। एसटी के वकील ने कहा कि इसे एक मिसाल नहीं माना जाना चाहिए। इसके जवाब में हाईकोर्ट ने कहा एक विशेष स्थिति में ही ऐसा आदेश पारित किया गया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह कर्मचारियों को एक चेतावनी के साथ फिर से काम पर लौटने का विकल्प दे रहे हैं। यदि इसे दोहराया जाता है तो एमएसआरटीसी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा।

    ग्रेच्युटी, भविष्य निधि, पेंशन और वेतन के मुद्दों पर विचार

    मुंबई हाईकोर्ट ने एसटी निगम से कर्मचारियों के ग्रेच्युटी, भविष्य निधि, पेंशन और वेतन के मुद्दों पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। परिवहन मंत्री अनिल परब ने कहा है कि पिछले दो साल से कोरोना की वजह से एसटी की आय पर काफी असर पड़ा है। वहीँ हड़ताल की वजह से भी निगम की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई हैं। इसके बावजूद सरकार एसटी कामगारों के हितों को ध्यान में रखते हुए उचित फैसला लेगी। परब ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ‘नो वर्क नो पे’ का फैसला सुना चुकी है। ऐसे में एसटी कर्मचारियों को पांच महीने का वेतन नहीं दिया जाएगा। एसटी में लगभग 90 हजार कर्मचारी काम करते हैं। यह देश के सबसे बड़े अंतर-शहर बस प्रणालियों में से एक हैं। एसटी के कर्मचारी सरकार के साथ विलय की मांग को लेकर पिछले 6 महीने से हड़ताल पर हैं।