Rape
प्रतीकात्मक तस्वीर

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नवभारत न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई: दिनदहाड़े जुहू बीच पर रेप की घटना पर यकीन करना मुश्किल है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी की है। आरोपी को जमानत देते वक्त न्यायलय की तरफ से ये बात कही गई है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा कोई भी विश्वास नहीं करेगा कि ईद के दिन जब समुद्र किनारे ज्यादा भीड़ होती है, साथ ही दिन के उजाले में समुद्र तट पर बलात्कार किया जा सकता है।

उच्च न्यायालय ने हाल ही में मुंबई के जुहू बीच पर एक महिला के साथ बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति को गुरुवार को जमानत दे दी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जमानत का आदेश दिया। जमानत देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी काफी समय से जेल में है। अभी तक उसपर आरोप फ्रेम नहीं हुआ है। जिसमें समय लगेगा। इसलिए वो जमानत का हकदार है।

दरअसल ये वाकया ईद-उल-फितर (ईद) के दिन और दिन के उजाले में भीड़भाड़ वाले जुहू चौपाटी पर घटी थी। आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने पीड़िता के साथ जुहू बीच पर जबरन शारीरिक संबंध बनाए। इस बात पर कोई यकीन नहीं करेगा, साथ ही आरोपी 2021 से जेल में है और अभी तक उस पर आरोप भी तय नहीं हुआ है। कोर्ट ने माना इस प्रक्रिया में अभी लम्बा समय लगेगा। आरोपी लंबे समय से जेल में बंद है इसलिए वो जमानत का पात्र है।

वारदात की हकीकत
पीड़िता मुंबई के ओशिवारा में एक घरेलू कामगार थी, उसकी पहचान आरोपी से हुई। जो एक चौकीदार के रूप में काम करता था। पहले दोस्ती और दोस्ती प्यार में बदल गई। 14 मई 2021 को जुहू चौपाटी पर आरोपी ने पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाने की इच्छा व्यक्त की, जिसे पीड़िता ने अस्वीकार कर दिया। आरोपी ने पीड़िता को धमकाया, उसे एक पत्थर के पीछे धकेल दिया और उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। चूंकि पीड़िता नाबालिग थी। इसलिए पुलिस ने भारतीय दंड संहिता और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की रोकथाम अधिनियम (POCSO) के तहत मामला दर्ज किया।

हालांकि अदालत ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि पीड़िता की रेडियोलॉजिकल उम्र 19 वर्ष से अधिक है, लेकिन 20 वर्ष से कम पाए जाने पर POCSO अधिनियम के तहत प्रावधान लागू नहीं किए जा सकते हैं। साथ ही पीठ ने एक बार फिर यह कहते हुए आवेदक को जमानत दे दी कि कोई भी विश्वास नहीं करेगा कि ईद के दिन दिन के उजाले में समुद्र तट पर पीड़िता के साथ बलात्कार किया जा सकता है।