nashik rd Central Jail
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    मुंबई: मुंबई उच्च न्यायालय ( Mumbai High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश की जेलों (Jails) की दुर्दशा पर चिंता जताई। राज्य की जेलों में क्षमता से 6 गुना अधिक कैदी होने पर वहां होने वाली बदतर हालात पर राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी (Advocate General Ashutosh Kumbakoni) को जेलों का दौरा कर वर्तमान स्थिति पर एक स्वतंत्र रिपोर्ट (Report) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। कैदियों के रिश्तेदारों से संवाद करने के लिए जो सुविधा शुरू की गई थी, उसे नवंबर में अचानक बंद कर दिया गया था।

    पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने इसके खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। कोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए सुविधा के अचानक बंद होने और सुविधा को जारी रखने की आवश्यकता के बारे में भी सवाल किया।

    …तो आपका रवैया बदल जाएगा

    मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति संभाजी शिंदे की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई में महाधिवक्ता कुंभकोणी ने अदालत को बताया कि तकनीकी कारणों से सुविधा को आगे जारी रखना संभव नहीं था। इस पर न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा कि एक बार जब आप जेल जाएंगे, तो आपका रवैया बदल जाएगा। कुछ महीने पहले हमने केंद्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ जेलों का दौरा किया था। उस समय जेल अधीक्षक ने बताया था कि जेल की क्षमता 600 है, लेकिन वर्तमान में जेल में 3,500 कैदी हैं। इस स्थिति के कारण शीर्ष अदालत ने उन कैदियों को जमानत दी थी जिन्हें कोरोना काल के दौरान एक छोटे से अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था या दोषी पाए जाने पर कम सजा दी गई थी।

    कई सुविधाओं को अपडेट करने की आवश्यकता

    जेल में कुछ सुविधाएं अच्छी हैं, लेकिन कई सुविधाओं को अपडेट करने की आवश्यकता है। फिलहाल तकनीकी सुविधाओं को पुलिस संभाल रही है, जबकि यह उनका काम नहीं है। इसके लिए एक विशेषज्ञ की आवश्यकता होती है। कोर्ट ने कहा कि जहां जरूरत हैं वहां विशेषज्ञ नियुक्त किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति शिंदे के जेल अनुभव के बाद, मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कुंभकोणी को जेलों का दौरा करने और एक स्वतंत्र रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।