सांकेतिक तस्वीर
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सैय्यद जाहिद अली@नवभारत 
मुंबई: भारतीय संविधान में हर भारतीय नागरिक को देश के किसी भी कोने में रहने, व्यापार करने, जमीन खरीदने और बेचने के अधिकार है। लेकिन ऐसा लगता है कुछ विशेष समुदाय के लोगों को घर खरीदने या किराए पर नहीं देने की साजिश चल रही है। हाल ही में मराठी महिला को घर देने से सोसायटी के लोगों ने मना कर दिया था। मुसलमानों को घर किराए पर ना देना आम बात होती जा रही है। घर की खरीदना (Purchase) और किराए (Rent) पर लेना बड़ा मुश्किल (Difficult) हो गया है इस तरह का आरोप मुंबई (Mumbai) के मुस्लिम (Muslim) समुदाय (Community) के लोगों का है। 
 
फ़िल्मी कलाकारों ने भी झेला है घर ना मिलने का दंश 
मुंबई के घाटकोपर में तृप्ति देवरूखकर को मुलुंड में एक सोसायटी ने घर देने से इंकार कर दिया था जो काफी तूल पकड़ा, बड़ी बड़ी राजनीतिक पार्टियों में चर्चा हुई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा। ऐसे ही मीरारोड में एक मराठी परिवार को मकान नहीं दिए जाने का मामला जोर पकड़ा था, वहां भी नतीजा कुछ नहीं निकला। आए दिन मुसलमानों को घर नहीं देने के मामले प्रकाश में आते रहते हैं। लेकिन उसे कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया। क्योंकि इसके लिए कोई आगे नहीं आता और पीड़ित कहीं और मुस्लिम बहुल इलाके में घर तलाशने लगता है। फिर चाहे जानीमानी फिल्म कलाकार शबाना आजमी ही क्यों ना हों। इसके अलावा  इमरान हाशमी, सैफ अली खान, जीनत अमान या फिर एजाज खान ही क्यों ना हों, सभी को मुंबई में घर नहीं मिलने की कसक कचोटती होगी। 
 
संविधान ने दिया है सबको बराबरी का हक 
जबकि देश के संविधान के अनुसार देश के किसी भी राज्य में कहीं भी घर खरीदने का बेचने का सभी को अधिकार है। अगर ऐसा नहीं किया गया और घर देने से इंकार किया गया तो सेक्शन 295 के तहत घर नहीं देने वाला धर्म की तौहीन और धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोपी माना जाता है। लेकिन दुश्मनी के डर से लोग घर ना देने वालों के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते हैं। प्रशासनिक महकमे के लोग, पुलिस और राजनीति से जुड़े लोग भी इस मामले को नज़रअंदाज़ करते हैं। 
मुंबई ही नहीं पास के उपनगरों में भी नहीं दिया जाता घर 
मुंबई से सटे ठाणे के कलवा, डोंबिवली के मान पाड़ा, सोनार पाड़ा, देसले पाड़ा, कल्याण शील रोड स्थित पडले गांव अंबरनाथ रोड और कल्याण टिटवाला रोड पर नवनिर्मित इमारतों में भी मुस्लिम समुदाय के लोगों को घर ना बेचा जाता है और नाही किराए पर दिया जाता है, इमारत की सोसायटी के कार्यालय में घर खरीदने के इच्छुक से फार्म भरवाए जाते हैं जिसमे उसके धर्म, आय से जुड़ी अन्य बातें होती है। जिसके मुस्लिम और दलित होने पर फ्लैट खाली नहीं होने का बहाना बता कर इनकार कर दिया जाता है। इस तरह की बात सामने आई है। 
 
घर नहीं देने के पीछे घर ना देने वालों का तर्क
मुंबई में मुसलमानों और दलितों को घर नहीं देने के पीछे घर ना देने वालों का तर्क रहता है कि ये लोग मांसाहरी होते हैं और गंदगी फैलाते हैं। सोसायटी ने नियम बनाया है कि मांसाहार करने वालों को मकान ना दिया जाए। बहरहाल दुखवा मैं कासे कहूं की तर्ज पर मुसलमान अपनी फरियाद किस्से कहे अगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने जाता है तो उसकी शिकायत ये कहकर नहीं ली जाती की उनकी चीज है उनका फ्लैट है चाहे जिसे बेचें या ना बेचें। यही वजह है मुसलमान अपने लोगों की बस्ती या इलाके में घर लेता है जहां उसे कोई दिक्कत नहीं होती घर आसानी से मिल जाते हैं। 
 
अनीस फारूकी, पीड़ित, सायन नाईक नगर
 
मेरे पुत्र की शादी होने के बाद धारावी का घर रहने के लिए पर्याप्त नहीं था जगह छोटी हो रही थी इसलिए हमने सायन स्टेशन के करीब राजगीर इमारत में घर किराए पर लेना चाहा लेकिन घर देने से इनकार कर दिया है। जबकि आस पास के लोगों ने बताया की घर खाली है। लेकिन मुसलमानों को नहीं दिया जाता। मजबूरी में मुंब्रा के अमृत नगर में उन्हें रहने के लिए भेजना पड़ा।
 
मोहम्मद उस्मानी, एडवोकेट हाईकोर्ट
मुंबई ही नहीं ठाणे में भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां मुसलमानों को घर देने से इनकार कर दिया गया। जो गैर कानूनी है अगर पीड़ित चाहे तो घर मालिक के खिलाफ धारा 153/295 और 298 के तहत मुकदमा दर्ज करा सकता है।