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  • डब्ल्यूएचओ के मानक से 7 गुना अधिक जहर

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मुंबई. देश की आर्थिक राजधानी कही जानेवाली मुंबई (Mumbai) में अब सांस लेना भी दूभर हो गया है। एक ओर कोरोना वायरस (Coronavirus) ने वैसे ही नाक में दम कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर हवा में प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर भी डब्ल्यूएचओ (WHO) के मानक से 7 गुना अधिक पाया गया है। ऐसे में मुंबईकरों अपने सेहत का खासा ध्यान रखना होगा, खासकर उन लोगों को जो पहले से ही सांस से संबंधित बीमारी से जूझ रहे हैं।

हाल ही में ऐसे कई अध्ययन सामने आए हैं, जिसमें प्रदूषण (Pollution) के बढ़ते स्तर के कारण कोविड संक्रमण को भी बल मिल रहा है। यानी कोविड इंफेक्शन के वृद्धि में वायु प्रदूषण सामग्री के तरह काम कर रहा है। वायु में मौजूद कण तत्व (PM) 2.5 मनुष्य के लिए घातक माने जाते हैं। इसका प्रमाण जितना अधिक होगा उतना ही इंसानों के लिए यह घातक होगा। हालही में विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्ल्यूएचओ) ने हवा में पीएम 2.5 के लिमिट को 10 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से घटा कर 5 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर कर दिया है। आप को जानकर हैरानी होगी कि इस वर्ष मार्च से मई यानी लॉकडाउन के दरम्यान मुंबई के वायु में 2.5 पीएम की मात्रा 40 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज की गई।

ट्रक और बस बढ़ा रहे प्रदूषण

सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने  हाल ही में एक समीक्षा की जिसमें यह पाया गया कि हवा में पीएम 2.5 में वृद्धि का सबसे बड़ा कारक बस और ट्रक से निकलने वाले धुंआ है। 2016-17 में पीएम 2.5 का 16 फीसदी उत्सर्जन उक्त गाड़ियों से होता था और 2019-20 में यह बढ़ कर 30.5 फीसदी हो गया है। इसके अलावा अन्य वाहन, कंस्ट्रक्शन साइट और कचरे को जलाने से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।