मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के ग्रामीण इलाकों की जीवन वाहिनी कही जाने वाली एसटी बसों (ST Buses) के मेकओवर का प्लान सरकार बना रही है, वहीं एसटी निगम का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। बताया गया कि राज्य सड़क परिवहन बोर्ड के कर्मचारियों को वेतन (Salary) देने के लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपए का फंड जारी किया है। हालांकि कर्मचारी संघों का कहना है कि यह फंड नाकाफी है।
एसटी निगम के कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्तों के भुगतान के लिए हर महीने 300 करोड़ रुपए की जरूरत होती है। निगम के करीब 92 हजार अधिकारी और कर्मचारी हैं। हाल ही में उनके महंगाई भत्ता में बढ़ोतरी का निर्णय हुआ है। इससे वेतन व्यय में लगभग 15 करोड़ रुपए की मासिक वृद्धि हो गई है ।
रियायत से हो रहा नुकसान
कामगार संगठनों का कहना है कि सरकार की ओर से छात्रों सहित यात्रियों को कई प्रकार की रियायतें घोषित की गईं हैं, उससे भी एसटी का नुकसान होता हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्वतंत्रता दिवस पर 75 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए नि:शुल्क एसटी यात्रा रियायत की घोषणा की थी।
हड़ताल से टूटी आर्थिक कमर
गौरतलब है कि पिछले वर्ष कई महीनों तक चली एसटी कर्मचारियों की हड़ताल से निगम की आर्थिक कमर टूट गई। अधिकांश बसें चलने की हालत में नहीं रहीं। पिछले दिनों एसटी निगम की वार्षिक बैठक में पांच हजार इलेक्ट्रिक, दो हजार डीजल बसें लीज पर खरीदने का निर्णय सीएम एकनाथ शिंदे ने लिया हैं। इसके अलावा डीजल पर बढ़ते खर्च को देखते हुए 5,000 डीजल बसों को एलएनजी में बदलने की मंजूरी दी गई है।