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  • अपनों से दूर रहकर निभाते हैं ड्यूटी  
  • पुलिस के जवान, दूसरों को देख होते हैं खुश

तारिक़ खान@नवभारत 
मुंबई: विभिन्न पर्व त्योहारों के खुशनुमा मौके पर जहां सभी सरकारी कार्यालयों, स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी दे दी जाती है, ताकि वो अपने परिजनों बाल-बच्चों, सगे-संबंधियों के साथ त्योहार (Diwali) का आनंद ले सकें। लेकिन हमारी सुरक्षा में लगे पुलिस के जवानों (Police Personnel) की ऐसी किस्मत कहां कि उन्हें भी छुट्टी मिले। उनकी ड्यूटी और जिम्मेदारी ऐसे त्यौहार के मौके पर और बढ़ जाती है।  ऐसे में उनकी सभी छुट्टियां रद्द कर उनसे अन्य दिनों की तुलना में और कड़ी ड्यूटी ली जाती है। देश और समाज सेवा के लिए सदैव तत्पर महाराष्ट्र पुलिस ने हमेशा से अपने फ़र्ज़ को बाकी दुसरे चीजों से ऊपर रखा है। ऐसे में अपना फ़र्ज़ निभाने में लगे पुलिसकर्मियों को अपने परिजनों के साथ पर्व त्योहार मनाना नसीब नहीं हो पाता है और वे अपने घर परिवार से दूर रहकर त्योहार के मौके पर चौक, चौराहों पर मुस्तैदी के साथ अपनी ड्यूटी निभाते हैं। उनका दिल इतना बड़ा होता है कि वे बाकी लोगों को दिवाली मनाते देख और उनके बच्चों के मुस्कुराते चेहरे की झलक पाकर खुद को तसल्ली दे लेते हैं। 

एक्स्ट्रा काम के नहीं मिलते पैसे 
‘नवभारत’ (Navabharat) से बातचीत में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हम भी सरकार के कर्मचारी है, सरकारी छुट्टियों पर हमारा भी हक़ है। लेकिन हमें सामान्य दिनों की तुलना में अधिक ड्यूटी करनी पड़ती है। दूसरे सरकारी कर्मियों को छुट्टी मिलती रहती है। जब बारिश में पानी भर जाता है या कुछ ऐसे हालात होते है तो सरकारी कर्मचारियों को तुरंत छुट्टी दे दी जाती है।  हमारा सिर्फ इतना कहना है कि हम अपने काम से पीछे नहीं हटने वाले हैं, पर सरकारी छुट्टियों के दिन काम करने का अतिरिक्त वेतन कर्मचारियों को मिलना चाहिए। 

बच्चों का बचपना देखना नसीब है
महिला पुलिसकर्मी ऋतुजा ने बताया, बच्चे कब बड़े होते है पता ही नहीं चलता है। जब ड्यूटी पर जाते है तो वे सोते रहते हैं और घर लौटने तक फिर सो जाते हैं। बच्चों का बचपना देखना नसीब नहीं होता है। हम लोगों की रक्षा करने के लिए 18-18 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं। लेकिन अपने परिवार के साथ ख़ुशी का एक पल नहीं बिता पाते हैं।   

आदत पड़ जाती है हमारे बिना जीने की
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, बच्चे त्यौहार के समय इंतज़ार करते हैं और समय पर आने के लिए कॉल करते हैं। हम उनके साथ खुशियों में शामिल नहीं होने के कारण और सवालों का जवाब नहीं दे पाते हैं। लेकिन बाद में परिवार वालों को हमारे बिना त्यौहार, रिश्तेदारों की शादी, जन्मदिन और अन्य फंक्शन में जाने और जीने की आदत पड़ जाती है। 

हमें गर्व होता है
राज (पुलिसकर्मी का बेटा) ने कहा, हमें गर्व है कि हमारे माता-पिता देश की सेवा और देशवासियों की सुरक्षा कर रहे हैं। जब लोग घरों में रहते हैं तब वो सड़कों पर निकल कर उनकी रक्षा करते हैं। कभी-कभी हमें स्कूल की मीटिंग और त्योहारों के समय साथ नहीं होने पर मायूसी होती है, लेकिन उनके अपना फ़र्ज़ निभाने की वजह से हमें जो गर्व होता है, उसके आगे हमारी मायूसी फीकी है।