Mumbai Metro-3

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    मुंबई:  बांद्रा से कुलाबा सीप्ज तक निर्माणाधीन मुंबई (Mumbai) की पहली अंडर ग्राउंड मेट्रो-3 परियोजना (First Under Ground Metro-3 Project) के लिए कारशेड (Carshed) की समस्या भले ही न सुलझ पाई हो, परंतु टनलिंग और सिविल वर्क का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। 33.5 किमी लंबी इस बहुउद्देश्यीय मेट्रो परियोजना (Metro Project) की 2 मेट्रो ट्रेनें (Metro Trains) आ गई हैं, जबकि तीसरी तैयार है।

    कारशेड विवाद का इस परियोजना पर असर हुआ है, हालांकि  पिछले 2 साल में कोविड की विपरीत परिस्थितियों के बावजुद एमएमआरसीएल 5,000 करोड़ रुपए के कार्यों को पूरा करने में कामयाब रही है। एमएमआरसीएल के एमडी रंजीत सिंह देओल के अनुसार, मुंबई मेट्रो लाइन-3 के लिए दो ट्रेनें तैयार हैं और तीसरी जल्द ही तैयार हो जाएगी। 15 प्रतिशत ट्रैक बिछाने के साथ, इस वर्ष अधिकांश सिविल वर्क पूरा हो जाएगा।

    कारशेड की तलाश

    कार शेड नहीं होने से, डिलीवरी के लिए तैयार ट्रेनों को पार्क करने के लिए कोई जगह नहीं है। देओल ने कहा कि हम नए साल की शुरुआत में सकारात्मक कार्यों पर ध्यान दे रहें हैं।  अप्रैल 2020 से दिसंबर 2021 की अवधि के दौरान पांच हजार करोड़ से अधिक के कार्यों को अंजाम दिया गया है।

    स्टेशनों का कार्य जारी

    97% टनलिंग और 82% सिविल वर्क पूरा कर लिया है। 11  स्टेशन – कफ परेड, विधान भवन, चर्चगेट, हुतात्मा चौक, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुंबई सेंट्रल, सिद्धि विनायक, सीएसएमआई-टी2, मरोल, एमआईडीसी और सीपज़ का  85% से अधिक पूरा होने को है। महालक्ष्मी, साइंस मयूजियम, वर्ली, दादर, धारावी, बीकेसी, विद्यानगरी, सांताक्रूज, सीएसएमआई टी-1 और सहार रोड 75% से अधिक हो गया है।  गिरगांव, कालबादेवी, ग्रांट रोड, शीतलादेवी, आचार्य अरे चौक में लगभग 50% तक हुआ  हैं। 16 एस्केलेटर लगाए जा चुके हैं, जिनमें से 2 सिद्धि विनायक स्टेशन पर और एक एमआईडीसी स्टेशन पर स्थापित किया गया है। 4  लिफ्ट एमआईडीसी और सिद्धिविनायक स्टेशन पर स्थापित की गई है।

    10 हजार करोड़ बढ़ी लागत

    कारशेड विवाद और अन्य कारणों के चलते मेट्रो-3 की परियोजना लागत 10 हजार करोड़ से ज्यादा बढ़ गई है। बताया गया कि परियोजना की लागत 23,136 करोड़ रुपए से बढ़ कर 33,406 करोड़ रुपए हो गई है।

    2013 में शुरू हुई कुलाबा-बांद्रा मेट्रो

    वर्ष 2013 में शुरू हुई कुलाबा-बांद्रा मेट्रो को 2021 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य था, परंतु कारशेड ही न बन पाने से आने वाले 2-3 वर्षों में संचालन ही नहीं शुरू हो पाएगा। ट्रैक कार्य, विद्युतीकरण, और स्टेशनों की एयर कंडीशनिंग आदि कार्य किए जा रहें हैं। कोरोना महामारी में कुशल श्रमिकों और तकनीशियनों की कमी का सामना करना पड़ा है।