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मुंबई: उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना (Satish Mahana) ने कहा कि कोई भी विधानसभा चाहे वह छोटी हो अथवा बड़ी हो, जन अपेक्षाएं हर जगह बराबर होती हैं। इसलिए हर विधायक (MLA) को छोटी से लेकर बड़ी तक हर जनसमस्या को धैर्यपूर्वक सुनने की आदत डालनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर जनविश्वास टूट गया तो वह एक विधायक के जीवन की सबसे बड़ी असफलता होती है। महाना यहां पहली बार आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय विधायक सम्मेलन के अंतिम दिन ‘आर्ट एंड क्राफ्ट आफ डेवलपिंग योर कांस्टीट्यूएंसी’ (Art and Craft of Developing Your Constituency) सत्र के दौरान उपस्थित नौ राज्यों के विधायकों (MLAs) को बार बार चुनाव जीतने के सुझाव दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि पहली बार तो चुनाव जीता जा सकता है पर अगली बार चुनाव जीतने के लिए चुनौतियां बढ़ जाती हैं। महाना ने कहा कि जीवन में विश्वास से बड़ी कोई पूंजी नहीं होती है। जो व्यक्ति कोई काम लेकर आता है तो उसकी भावनाओं को ध्यान में रखकर बात जरूर सुनें। जिस तरह एक डॉक्टर अपने रोगी की बात को जब ध्यानपूर्वक सुनता है तो उसकी आधी बीमारी तुरंत खत्म हो जाती है, उसी तरह एक विधायक भी अपने क्षेत्र का डॉक्टर होता है। इसलिए उसे हर एक की समस्या को गौरपूर्वक सुनना चाहिए। जो भी आपके पास अपनी समस्या को लेकर आया है तो उसको नजरंदाज नहीं करना चाहिए।

व्यवहार का प्रभाव छवि पर भी पड़ता है

उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में जनता विधायक की हर गतिविधि पर अपनी पैनी नजर रखती है। इसलिए जनभावनाओं के अनुरूप ही चले। जनता जो देखना चाहती है उसे वही दिखाने का काम करें। उन्होंने विधायकों को यह भी बताया कि इस बात का भी पूरा ख्याल रखें कि जो लोग आपके आसपास है, उनका जनता के प्रति व्यवहार कैसा है क्योंकि उनके व्यवहार का प्रभाव आपकी छवि पर भी पड़ता है।

राजनीतिक भावना से जनता के साथ व्यवहार न करें: अनुराग ठाकुर

इस मौके पर युवा एवं खेल कल्याण मंत्री अनुराग ठाकुर ने आनलाइन इस सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विधायक केंद्र और राज्य की योजनाओं से हमेशा अवगत रहे । जिससे सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उस क्षेत्र की जनता को मिल सके। कई बार योजनाओं की जानकारी न होने पर लाभार्थियों को योजनाएं का लाभ नहीं मिल पाता है। अनुराग ठाकुर ने कहा कि किसी विधायक को राजनीतिक भावना से जनता के साथ व्यवहार नहीं करना चाहिए।

एक विधायक को हमेशा सीखते रहना चाहिए

उन्होंने कहा कि एक विधायक को हमेशा सीखते रहना चाहिए। 1991 से लगातार विधायक और विधानसभा अध्यक्ष से सीख लेनी चाहिए। वो तब से विधायक है जब मोबाइल नहीं था। सब कुछ बदल गया, पर उनका व्यवहार आज भी वही है जो 32 वर्ष पहले था। इस मौके पर अलग-अलग राज्यों के विधायकों के साथ सवाल-जवाब हुए। कार्यक्रम के दौरान गोवा के सामाजिक कल्याण मंत्री सुभाष फल देसाई ने भी पैनल डिस्कशन में हिस्सा लिया।