Mantralaya
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मुंबई: पिछले कई वर्षों  से मंत्रालय में एक ही पद पर बैठे अधिकारियों-कर्मचारियों की जल्द बदली किए जाने उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादलों को लेकर प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद संयुक्त सचिव, उप सचिव, अवर सचिव, कक्ष पदाधिकारी और अन्य कर्मचारियों को दूसरे विभागों में जाना होगा। सूत्रों के मुताबिक 30 जून तक अधिकारियों के तबादले होने की उम्मीद है। राजस्व विभाग ने हाल ही में तहसीलदारों के तबादले किये हैं। ये ट्रांसफर आदेश सरकारी वेबसाइट पर प्रकाशित किए बिना ही आधी रात को संबंधित अधिकारी के मोबाइल पर भेज दिए गए थे। इससे बड़ा हड़कंप मच गया। हालांकि चौकाने वाली बात यह है कि राजस्व विभाग के जिस संयुक्त सचिव ने यह आदेश जारी किया वे खुद पिछले 8 साल से उस पद पर जमे हुए हैं।

नियमों की अनदेखी

ट्रांसफर एक्ट के मुताबिक अधिकारी और कर्मचारी एक विभाग में छह साल और एक पद पर तीन साल तक काम कर सकते हैं। लेकिन कई अधिकारी व कर्मचारी नियमों की अनदेखी की वजह से वर्षों से एक ही कुर्सी पर बैठे हैं। पिछले साल अगस्त में संयुक्त सचिव, उप सचिव का तबादला कर दिया गया था। हालांकि, स्थानांतरित अधिकारियों ने नई जगह ज्वाइन नहीं किया है। इसी पृष्ठभूमि में सामान्य प्रशासन विभाग ने अधिकारियों के तबादले का प्रस्ताव तैयार किया है। कोरोना काल में पिछले तीन साल में मंत्रालय में अधिकारियों के तबादले नहीं हुए। इसके अलावा संबंधित विभाग ने अनुरोध किया कि जो अधिकारी-कर्मचारी तबादले के पात्र हैं, उन्हें उसी स्थान पर एक्सटेंशन दिया जाए। इसलिए ऐसे सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की सूची तैयार कर तबादले का प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंप दिया गया है। इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद ट्रांसफर आदेश जारी  किए जाएंगे।

इन अधिकारियों की नियुक्ति रद्द हो

अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस के सीनियर नेता सचिन सावंत ने भी एक अहम मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि यह नियम है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के बाहर के किसी अधिकारी को अस्थायी आधार पर केवल तीन महीने की अवधि के लिए ऐसे पदों पर नियुक्त किया जा सकता है, जहां उक्त पद को भरने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी उपलब्ध नहीं है। सावंत ने कहा कि राज्य में कई आईएएस अधिकारी उपलब्ध हैं लेकिन कुछ नगर निगमों में इस सेवा के  बाहर के अधिकारियों को नियुक्त किया है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर अमरावती नगर निगम में प्रवीण आष्टीकर, सांगली मिराज कुपवाड नगर निगम में सुनील पवार, नांदेड़ वाघाला नगर निगम में सुनील लहाने, मीरा-भाइंदर नगर निगम में दिलीप ढोले, वसई-विरार नगर निगम में अनिल कुमार पवार, मालेगांव नगर निगम में भालचंद्र गोसावी व  भिवंडी-निजामपुर नगर निगम में विजय कुमार माशाल और पनवेल नगर निगम में गणेश देशमुख की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े किए हैं। सावंत ने कहा कि इन अधिकारियों की नियुक्ति नियम के विरुद्ध है. ऐसे में इसे तुरंत रद्द की जानी चाहिए। उन्होंने इस सम्बन्ध में राज्य के मुख्य सचिव मनोज सौनिक को एक ज्ञापन भी दिया है।

बदली का रेट कार्ड

हाल ही में महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर अधिकारियों की बदली के लिए रिश्वत लिए जाने का संगीन आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया है कि जिलाधिकारी से लेकर कृषि सहायक समेत कई बड़े अधिकारियों की बदली के लिए रिश्वत लिए जा रहे हैं। अजीत पवार का आरोप है कि कुछ खास विधायकों की अनुशंसा पर यह ट्रांसफर किए जा रहे हैं। अजीत ने कहा कि कई आईएएस व आईपीएस अधिकारियों से उनके अच्छे संबंध हैं। लेकिन उन्होंने नाम का खुलासा न किए जाने की शर्त पर बताया कि उनके पास सिर्फ मौखिक आदेश का पालन करने के अलावा कोई चारा नहीं है।

तबादला घोटाला

महाराष्ट्र के वन  विभाग में अधिकारियों की बदली के बदले मोटी रिश्वत लेने के भी आरोप लगे है.ऐसी रिपोर्ट है कि जब राज्य के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार विदेश  दौरे पर थे तो इस दौरान पैसे लेकर करीब 200 अधिकारियों का तबादला किया गया था। यह शिकायत विपक्षी दलों के नेताओं ने नहीं बल्कि सत्तारूढ़  बीजेपी विधायकों ने की है। इसके बाद मुनगंटीवार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।