‘INDIA’ गठबंधन के रवैए से भड़के प्रकाश आंबेडकर बोले, कांग्रेस से नहीं मिला जवाब, 48 लोस सीटों की तैयारी शुरू

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मुंबई: वंचित बहुजन आघाड़ी (वीबीए)प्रमुख प्रकाश आंबेडकर (Prakash Ambedkar), विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) से रिस्पांस नहीं मिलने पर भड़क गए हैं। उन्होंने सोमवार को दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनके उस पत्र का जवाब नहीं दिया, जिसमें उन्होंने विपक्षी गठबंधन में अपनी पार्टी की भागीदारी के बारे में लिखा था। 
 
पार्टी कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आंबेडकर ने कहा कि कांग्रेस ने कई बार बयान दिया कि उन्हें ‘इंडिया’ गठबंधन में भागीदारी के बारे में वीबीए से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है, इसलिए उन्होंने एक सितंबर को पत्र लिखा था. पत्र की हार्ड कॉपी भेजने के अलावा उसे ईमेल किया गया। 
 
 
लेकिन कांग्रेस की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। आंबेडकर ने कहा कि पत्र में वीबीए ने’ इंडिया’ गठबंधन में भागीदारी के नियमों और शर्तों के बारे में खरगे से बातचीत करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने अंतिम तारीख तक कांग्रेस से आमंत्रण मिलने का इंतजार करने का फैसला किया, लेकिन अब रिस्पांस न मिलने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। 
 
आंबेडकर ने कहा कि वीबीए ने महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीट (48 lok sabha seat) पर चुनाव लड़ने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि अभी हमारा उद्धव ठाकरे की पार्टी से गठबंधन बरकरार है, लेकिन हम मान कर चल रहे है, कि अगर अंतिम समय तक बात नहीं बनती है तो अपने बल पर महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. 
 
उद्धव ठाकरे की पार्टी से गठबंधन
जनवरी, 2023 में प्रकाश आंबेडकर ने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की पार्टी से गठबंधन का ऐलान किया था। उस समय ठाकरे ने कहा था कि वंचित के साथ हम आगे चुनाव में लड़ेंगे। हालांकि जब मुंबई में आयोजित इंडिया गठबंधन के दौरान आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों ने ठाकरे से वंचित को शामिल करने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा था कि इस पर बाद में विचार किया जाएगा।
 
पवार के खिलाफ बयानबाजी 
प्रकाश आंबेडकर का राकां अध्यक्ष शरद पवार के साथ छत्तीस का आंकड़ा है। वे कई मौकों पर पवार की आलोचना कर चुके हैं। इस वजह से वंचित को इंडिया गठबंधन में शामिल करने पर पेंच फंसा हुआ है। हालांकि माना जा रहा है कि वोट कटने के डर से वंचित को शामिल करने पर फिर से विचार किया जाएगा। 
   
2019 में कांग्रेस को उठाना पड़ा था खामियाज़ा
वंचित आघाडी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के समय ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ गठबंधन किया था। इस तरह इन दोनों दलों ने कांग्रेस व राकां से दलित-अल्पसंख्यक वोट छीन लिए, जो परंपरागत रूप से  उनके वोट बैंक माने जाते थे। इस वजह से कांग्रेस- राकां को काफी नुकसान हुआ। वंचित उम्मीदवार द्वारा वोट काटने की वजह से नांदेड में कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक चव्हाण को भी पहली बार लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और जीत का सेहरा बीजेपी उम्मीदवार के सिर बंधा था। महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस मात्र एक सीट जीतने में कामयाब रही थी। ऐसे में अगर इस बार भी वंचित से बात नहीं बनती है तो इंडिया गठबंधन के वोट बैंक में आंबेडकर फिर सेंध लगाएंगे और इसका फायदा महायुति को होगा।