Minister Nitin Raut
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  • बिजली की मांग पूरी करने में सक्षम महाराष्ट्र.
  • राज्य में कोयले की कमी नहीं होने देंगे.
  • 4 नई वितरण कंपनियां गठित होंगी.
  • हर साल 1 करोड़ प्री-पैड मीटर देने का लक्ष्य.

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मुंबई. कोयले की कमी का संकट विश्व स्तर पर पैदा हुआ है। इसलिए इसका असर पूरे देश के साथ महाराष्ट्र पर भी पड़ रहा है। कोयले की कमी के चलते राज्य की बिजली उत्पादन क्षमता भी कम हुई है। यह बिजली उत्पादन कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती है, लेकिन इसके बावजूद हम महाराष्ट्र को अंधेरे में नहीं जाने देंगे। हम राज्य में कोयले की कमी नहीं होने देंगे। यह विश्वास महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री डॉ. नितिन राऊत ने ‘नवभारत’ के साथ एक विशेष बातचीत में व्यक्त किया। 

विभिन्न मुद्दों पर खुल कर बोले नितिन राऊत

राज्य की बिजली कंपनियां इस समय संकट से गुजर रही हैं। तरह-तरह के ग्राहकों का बकाया बढ़ गया है। राज्य के नगर विकास और ग्रामीण विकास विभागों का बिजली बकाया 8,800 करोड़ रुपए है, जो 2014 से भाजपा सरकार के समय से ही बकाया है और यह हर साल बढ़ते जा रहा है। यदि यह बकाया मिल जाए तो महावितरण कंपनी की आर्थिक समस्या दूर हो सकती है। मैंने आज तक हर उस विभाग में नवोन्मेषी और जन हितैषी कार्य करने के प्रयास किए हैं, जो पार्टी ने मुझे सौंपा है।

राज्य के बिजली क्षेत्र की मुश्किलों का समाधान करने और मजबूती प्रदान करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। महावितरण कंपनी को अधिक कार्यक्षम बनाने के लिए जल्द 4 नई कंपनियों में विभाजित करने की योजना बनाई गयी है। हर साल एक करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को प्री-पैड मीटर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। अगले तीन साल में कुल 3 करोड़ बिजली ग्राहकों के घर में प्रीपैड मीटर लगाए जाएंगे। ग्रीन एनर्जी का उत्पादन बढ़ाने पर भी आघाड़ी सरकार प्राथमिकता दे रही है।

ऐसे कई मुद्दों पर ऊर्जा मंत्री डॉ. नितिन राउत ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने राज्य में बिजली क्षेत्र पर बिना किसी झिझक के अपने विचार व्यक्त किए। महावितरण के सामने दोहरी वित्तीय चुनौतीबिजली कंपनी महावितरण को दोहरी आर्थिक चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ, बिजली उपभोक्ताओं पर 9,971 करोड़ रुपए की भारी राशि बकाया है।

इसके अलावा 12,351 करोड़ रुपए विलंब शुल्क व अन्य शुल्क का बकाया है। जबकि दूसरी ओर, परियोजनाओं के निर्माण के लिए 22,471 करोड़ रुपए का ऋण लिया गया है।  महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग (मर्क) द्वारा मंजूर इक्विटी कैपिटल की ऋण सीमा का 110 प्रतिशत अधिक कर्ज लिया हुआ है। 30 सितंबर 2021 की स्थिति के अनुसार, कोयला कंपनी का कुल 1,864 करोड़ रुपए, सरकार के 3,155 करोड़ रुपए और बिजली आपूर्तिकर्ता कंपनियों का बकाया भुगतान  275 करोड़ रुपए था, इस तरह कुल मिलाकर 5,294 करोड़ रुपए बकाया हैं।

पिछली सरकार की गलतियों का खामियाजा भुगत रही महावितरणउर्जा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के ग्राम विकास मंत्रालय और नगर विकास मंत्रालय पर महावितरण कंपनी का हजारों करोड़ रुपए बकाया है। यह बकाया कोई एक-दो साल का नहीं है, बल्कि 2014 में पिछली भाजपा सरकार के समय से है और यह राशि भुगतान ना होने के कारण हर वर्ष बढ़ती जा रही है।। स्ट्रीट लाइट के लिए बिजली आपूर्ति का 6,299 करोड़ रुपए बकाया है, वहीं सार्वजनिक जल आपूर्ति योजना का 2,514 करोड़ रुपए बकाया है।

इस तरह कुल बकाया अब बढ़कर 8,813 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। पिछली सरकार की गलतियों का खामियाजा अब महावितरण को अब भुगतना पड़ रहा है। यदि यह भुगतान महावितरण को समय पर किया गया होता तो आज महावितरण की वित्तीय स्थिति मजबूत हो गयी होती। 20 रुपए तक की ऊंची दरों पर बिजली खरीद उर्जा मंत्री ने कहा कि आज महावितरण से भुगतान प्राप्त न होने के कारण महानिर्मिति कंपनी के पास कोयले की खरीद के लिए धन की कमी चल रही है।

यदि पिछली सरकार ने इतना बकाया ना छोड़ा होता तो आज महानिर्मिति कंपनी के पास कोयला खरीद के लिए पर्याप्त पूंजी होती और महानिर्मिति को कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन में कमी का सामना नहीं करना पड़ता। इसका दूसरा नुकसान यह हो रहा है कि महावितरण को खुले बाजार से महंगी दरों पर बिजली खरीदनी पड़ रही है। काफी महंगी दरों पर बिजली की खरीद करने के कारण महावितरण का घाटा बढ़ रहा है।

राज्य में अंधेरा ना हो, बिजली की कमी ना हो, इसके लिए 20 रुपए तक की ऊंची दरों पर बिजली खरीद करनी पड़ रही है, जबकि उपभोक्ताओं को तो 7।50 रुपए में ही आपूर्ति की जा रही है। इस संकट का जिम्मेदार कौन? सभी 3 करोड़ उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्री-पैड मीटरऊर्जा मंत्री डॉ. नितिन राऊत ने कहा कि आघाड़ी सरकार ने बिजली क्षेत्र का आधुनिकीकरण करने के लिए ऑटोमेशन करने की योजना बनायी है। इसके तहत राज्य में सभी बिजली उपभोक्ताओं को प्री-पैड मीटर उपलब्ध कराए जाएंगे। राज्य में कुल करीब 3 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं।

महावितण कंपनी हर साल औसतन एक करोड़ ग्राहकों को प्री-पैड स्मार्ट मीटर मुहैया कराएगी और इस तरह अगले तीन वर्षों में सभी उपभोक्ताओं को प्री-पैड मीटर दे दिए जाएंगे। इससे जहां बिजली वितरण में हानि कम होगी, वहीं उपभोक्ता को भी जितनी बिजली इस्तेमाल की, उतनी बिजली का ही पैसा देना होगा।  किसानों को भी स्मार्ट मीटरऊर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को भी स्मार्ट मीटर देगी, हालांकि किसानों का मीटर का पैसा नहीं देना होगा। यदि किसान स्मार्ट मीटर का भुगतान करेगा तो उसका पैसा उसके बिल में समायोजित कर किसान को राहत दी जाएगी। 

बिजली क्षेत्र में होगा बड़ा सुधार उर्जा मंत्री ने कहा कि हमने महावितरण को अधिक कार्यक्षम बनाने और घाटा कम करने के लिए 4 वितरण कंपनियों में विभाजित करने की योजना बनाई है। ये 4 नई कंपनियां भौगोलिक दृष्टि से 4 रीजन में बनाई जाएंगी। नई रीजनल कंपनियां राज्य में स्थानीय उद्योगों व अन्य उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार पूरी बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करेंगी। साथ ही पड़ौसी राज्यों की तुलना में प्रतिस्पर्धी दरों पर बिजली आपूर्ति करेंगी। विभिन्न हिस्सों में बिजली की दरें स्थानीय जरूरत, मांग, उत्पादन के साथ-साथ बिजली उपभोक्ताओं के प्रकार के अनुसार तय की जाएंगी। नई वितरण कंपनियां बनाने का प्रोसेस शुरू हो गया है और अगले 6 महीनों में पूरा होने की उम्मीद है।

इससे इंडस्ट्री को सब्सिडी देने की जरूरत नहीं रहेगी और यह राज्य के बिजली क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा। मनरेगा से मिला किसानों को अतिरिक्त आय का जरियाउर्जा मंत्री ने कहा कि रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के समय में किए गए कई कार्यों के सकारात्मक परिणाम आज राज्य में दिखाई दे रहे हैं। मनरेगा के माध्यम से किसानों के लिए बागवानी योजना शुरू की गई थी।राज्य के कई किसानों को इस योजना से लाभ होता दिख रहा है, विशेषकर विदर्भ के किसानों को, जो आज विभिन्न फलों का उत्पादन कर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। भाजपा सरकार ने इसी योजना का नाम बदलकर जलयुक्त शिवार योजना कर दिया था।

पार्टी ने अवसर दिए तो मैंने जन-केंद्रित योजनाओं को हर जगह लागू किया। 40 लाख किसानों का बिजली बकाया माफ उर्जा मंत्री ने कहा कि मैंने राज्य में किसानों के लिए महाकृषि ऊर्जा अभियान लागू किया और जिसके तहत किसानों के 10,143 करोड़ रुपए के बिजली बिलों की बकाया राशि माफ की गयी। यह राज्य में किसानों के लिए अब तक की सबसे बड़ी बिजली बकाया माफी योजना साबित हुई है। इसका फायदा करीब 40 लाख किसानों को मिला। बकाया मुक्त होने से इन किसानों को सरकार की दूसरी योजनाओं का लाभ भी मिलने लगा है। हमने किसानों को अतिरिक्त आय करने के लिए खेतों में सौर उर्जा उत्पादन के लिए भी प्रेरित किया और आज बड़ी संख्या में किसान इसका लाभ उठा रहे हैं। आंदोलन की पृष्ठभूमि

नितिन राऊत ने कहा कि, “मैं अंबेडकर आंदोलन का कार्यकर्ता हूं। इसलिए संघर्ष करने की प्रवृत्ति है। मैंने कई राजनीतिक संघर्ष किए। कांग्रेस पार्टी ने और गांधी परिवार ने मुझ पर हमेशा भरोसा जताते हुए समय-समय पर मुझे अवसर दिए, ताकि जनकल्याणकारी योजनाएं लागू हों और उनका लाभ वंचित वर्गों को मिले। हम डॉ। बाबासाहेब अंबेडकर के इरादे वाले किसानों को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।”

3 सदस्यीय वार्ड प्रणाली से नुकसान

नितिन राऊत ने कहा कि नगर निकाय चुनाव के लिए तीन सदस्यीय वार्ड बनाने का निर्णय सही नहीं है। ऐसा लगता है कि यह ढांचा विकास के मोर्चे पर अहितकर होगा। विरोध करने का मौका नहीं मिला। तीन सदस्यीय वार्ड ढांचे से प्रमुख दलों को कोई फायदा नहीं होगा ।