VINOD TAWDE

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नागपुर. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने कहा कि अगर राज्य में उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ रहते तो अजीत पवार को साथ लेने की जरूरत ही नहीं होती. अजीत के साथ नहीं जाते. उन्होंने कहा कि भाजपा किसी भी चुनाव को लेकर कभी अति आत्मविश्वास में नहीं रहती. देश में बीजेपी की सत्ता है लेकिन दक्षिणी राज्यों में सफल नहीं हुए हैं.

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर दक्षिण की ओर खास ध्यान दे रहे हैं. वे नागपुर में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे. राज्य में विधानसभा चुनाव के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यहां सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व व अजीत पवार के साथ युति कायम रहेगी. सीट बंटवारे को लेकर भी किसी तरह की अड़चन नहीं आएगी. प्रेस परिषद में संजय भेंडे, विधायक कृष्ष्णा खोपड़े, केशव उपाध्ये, धर्मपाल मेश्राम, बंटी कुकड़े, सुधाकर कोहले, अनिल सोले, चंदन गोस्वामी उपस्थित थे.

जीतने वाले उम्मीदवार जरूरी

आगामी लोस व विस चुनाव को लेकर पार्टी की तैयारी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि उम्मीदवार में जीतने की क्षमता जरूरी है. राज्य में उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए दावेदारों व सिटिंग एमएलए के 5 वर्ष का ट्रैक रिकॉर्ड देखा जाएगा. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सीएम व डीसीएम के चयन से पार्टी के आम कार्यकर्ताओं में संदेश गया है कि यहां जमीन से जुड़े ईमानदार व कर्मठ कार्यकर्ता भी सीएम बन सकता है. उन्होंने राज्य में भी बड़े व प्रस्थापित नेताओं को रिटायर्ड करने के सवाल पर कहा कि यह महज कुछ विश्लेषकों के कयास ही हैं. हर राज्य की परिस्थिति अलग होती है. महाराष्ट्र में नेताओं को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

मोदी गारंटी रही प्रभावी

तावड़े ने कहा कि तीनों राज्यों के चुनाव में मोदी गारंटी प्रभावी रही है. महाराष्ट्र में आगामी चुनावों की तैयारी शुरू है और सामाजिक राजनीतिक समीकरण बिठाने का कार्य जारी है. तावड़े ने कहा कि भाजपा के प्रति देश के नागरिकों का विश्वास बढ़ा है. मोदी के कार्यों को भारी प्रतिसाद मिल रहा है. लोस चुनाव में 400 सीटें हासिल करने का उन्होंने दावा किया. उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान जारी होने वाले घोषणापत्र की बजाय सरकार द्वारा 5 वर्षों में जो कार्य किये गए उस पर मतदान हुआ है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश कुमार साथ छोड़ लालूप्रसाद यादव के साथ गए लेकिन बिहार के वोटर बीजेपी के साथ हैं. 

कांग्रेस को ले डूबा बड़बोलापन

तावड़े ने कहा कि कांग्रेस की भाषा कर्नाटक विधानसभा जीत के बाद से बदल गई थी. उसके नेताओं का बड़बोलापन ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में उसकी हार का कारण बना. उन्होंने कहा कि जनता ने कांग्रेस की मुंहजोरी को मतदान के माध्यम से जवाब दिया.