Nagpur High Court
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    नागपुर. मनपा आयुक्त को आवंटित किया गया बंगला वापस लौटाने के लिए भले ही चंद्रपुर जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से नोटिस जारी कर कार्यवाही शुरू की गई हो लेकिन इस कार्यवाही को चुनौती देते हुए चंद्रपुर के उप महापौर राहुल पावडे की ओर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.

    जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायाधीश अनिल पानसरे ने चंद्रपुर महानगरपालिका और जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों की बैठक लेकर इस मसले का हल निकालने के आदेश विभागीय आयुक्त को दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. महेश धात्रक और सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील आनंद फुलझेले ने पैरवी की. याचिकाकर्ता का मानना था कि 14 मई 2018 को जिलाधिकारी और सरकारी क्वार्टर आवंटन समिति ने स्थायी तौर पर मनपा आयुक्त को क्वार्टर का आवंटन किया था. 

    बिना आवास के मनपा आयुक्त

    सुनवाई के दौरान अदालत का मानना था कि याचिकाकर्ता पर व्यक्तिगत रूप से कानूनी आघात नहीं है. चूंकि यह जनहित याचिका नहीं है अत: इसे दिवानी याचिका के रूप में स्वीकृत नहीं किया जा सकता है. किंतु चूंकि यह मामला दो प्राधिकरण के बीच है, जिससे इसका हल समन्वय से होना जरूरी है. दोनों पक्षों को स्वीकृत हो, इस तरह का कोई विकल्प ढूंढकर मसला हल करने के लिए फिजिकल या आनलाइन पद्धति से विभागीय आयुक्त को बैठक लेने के निर्देश हाई कोर्ट की ओर से दिए गए. सुनवाई के दौरान अधि. महेश धात्रक ने कहा कि मनपा आयुक्त फिलहाल बिना आवास के है. जिस पर अदालत ने इस मसले को प्राथमिकता देकर कम से कम आयुक्त को आवास उपलब्ध हो जाए, इस दिशा में मसले का हल निकालने के आदेश भी दिए. 

    तहसीलदार को दिया बंगला

    अधि. महेश धात्रक ने कहा कि 15 नवंबर 2018 को जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से प्रशासकीय आदेश जारी कर मनपा आयुक्त के लिए क्वार्टर का आवंटन किया गया था. जिसके अनुसार राजस्व विभाग की ओर से उक्त क्वार्टर को मनपा आयुक्त के नाम पर रिकार्ड में पंजीकृत कर लिया गया. मनपा को आवंटन होने के बाद इसके नवनिर्माण के लिए 24 लाख रु. का खर्च किया गया. इसके अलावा सौंदर्यीकरण और इंटीरियर आदि का काम भी किया गया.

    1 फरवरी 2021 को अचानक आवंटन रद्द कर दिया गया. हाल ही में इस बंगले को खाली कराने का नोटिस भी जारी किया गया. 8 फरवरी 2022 को मनपा की ओर से जिलाधिकारी कार्यालय को जवाब दिया गया. जिसमें आयुक्त के बंगले पर हुए खर्च और उसके रखरखाव के लिए किए गए कार्यों का हवाला दिया गया लेकिन इसे नजरअंदाज कर जिलाधिकारी कार्यालय की ओर से आवंटन रद्द कर इसे तहसीलदार को आवंटित कर दिया गया.