ST Bus
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नागपुर. कोरोना काल के बाद बीते 2 सालों में महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन मंडल (एसटी) ने भले कमाई में अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़े हों लेकिन अपने खेमे में इलेक्ट्रिक बस जोड़ने के दावे पूरे नहीं कर पाई. काफी जदोजहद के बाद मई-जून में 20 डीजल बसें जरूर आईं. इस दौरान आलाकमान द्वारा दावे किए गए कि दीपावली तक करीब 10 इलेक्ट्रिक बसें आ जाएंगी लेकिन ये दावे भी फुस्स हो गए. साल के अंत का दिसंबर महीने का पहला सप्ताह बीत गया लेकिन इलेक्ट्रिक बसों को लेकर फिलहाल कोई चर्चा नहीं है.

फिलहाल यात्रियों को खटारा बसों में सफर करके ही काम चलाना पड़ेगा. बता दें कि अभी एसटी के खेमे में करीब 430 बसें हैं. इनमें से 75 प्रतिशत बसें सर्विस के दम पर चलाई जा रही हैं. इनका इंजन जवाब दे चुका है. धुआं उगलतीं ये बसें जहां से भी गुजरती हैं वहां लोग परेशान हो जाते हैं. इनको बदलने की कवायद भी बीते 2 साल से चल रही है लेकिन इतनी मेहनत के बाद सिर्फ 20 डीजल बसें ही हाथ में आ पाई हैं. बाकी बसें कब आएंगी किसी को नहीं पता. कुछ अधिकारियों का मानना है कि फिलहाल तो पैसे की कोई कमी नहीं है. बसों के ऑर्डर भी जारी कर दिए गए हैं. शायद अगले वर्ष एसटी के खेमे में कोई इलेक्ट्रिक बस शामिल हो.

14 दिन में कमाए 8 करोड़ 

दीपावली का त्योहार एसटी महामंडल के लिए कुबेर का खजाना साबित हुआ. जहां प्रदेश में 14 दिनों की आय 50 करोड़ के पार पहुंच गई वहीं सिटी की गणेशपेठ, घाट रोड सहित सभी 8 डिपो ने 14 से 27 नवंबर के बीच 8 करोड़ से भी ज्यादा की कमाई कर डाली. इस कमाई की एक बड़ी वजह इन दिनों में किराये में 15 प्रतिशत के आसपास इजाफा करना भी शामिल था. यात्रियों ने ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन बड़ी संख्या में बुकिंग कराई. इसका कारण निजी बसों का अधिक किराया वसूलना भी था. इसका फायदा एसटी को मिला.

सुविधाएं विकसित नहीं

यात्रियों की मानें तो सभी बस डिपो पर मानकों के हिसाब से  यात्रियों के लिए सुविधाएं जुटाने में प्रबंधन असफल रहा है. हालांकि मैनेजमेंट ने वर्ष में कई बार ऑनलाइन बैठकें लेकर डिपो में यात्रियों के लिए सुविधाएं विकसित करने के लिए कई प्लानिंग बनाई लेकिन वे धरातल पर कम ही दिखीं. सूत्रों का कहना है कि सुविधाएं विकसित करने के लिए बजट की जरूरत होती है. आलाकमान बजट न देकर सिर्फ निर्देश देता है. इसलिए प्लानिंग धरातल पर नहीं उतर पातीं.