ST Strike
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    नागपुर. एसटी कर्मचारी विलीनिकरण की मांग पर अड़े हुये हैं. इस बीच सरकार ने 3 फीसदी वेतन वृद्धि के संबंध में अध्यादेश जारी कर दिया है. वहीं, दूसरी ओर काम पर लौटने वाले कर्मियों का 10 दिसंबर तक वेतन देने का निर्णय लिया गया है लेकिन कर्मचारी सरकार के किसी भी प्रस्ताव को मानने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि लोगों की मुसीबत दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. एसटी कर्मियों की हड़ताल को महीनाभर हो गया है लेकिन अब तक समाधान नहीं निकल सका है. कर्मचारी जिद पर अड़े हुये हैं.

    सरकार ने बीच का रास्ता निकाला जरूर लेकिन कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है. इसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है. ग्रामीण भागों से शहरों से आने वाले लोगों की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही है. इस ओर सरकार का ध्यान नहीं है. आम जनता के लिए न ही कोई पर्यायी व्यवस्था की जा रही है. एक ओर जिलाधिकारी ने कोरोना के खतरे की संभावना के मद्देनजर तरह-तरह की पाबंदियां तो लगा दी लेकिन प्राइवेट बसों में ठूंस-ठूंस कर भरे जा रहे यात्रियों की सुरक्षा की फिक्र नहीं है. 

    अब तक 420 कर्मी निलंबित

    इस बीच प्रशासन ने बुधवार को नागपुर मंडल के और 20 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया. इनमें रामटेक व उमरेड डिपो के 10-10 कर्मचारियों का समावेश है. अब तक कुल 420 कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है. कर्मचारियों का कहना है कि भले ही सभी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया जाये लेकिन वे काम पर नहीं लौटने वाले हैं. महाविकास आघाड़ी सरकार एसटी कर्मचारियों की विलीनिकरण की मांग को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है.

    इस बीच बुधवार से ग्रामीण भागों में सभी स्कूल खुल गये लेकिन एसटी नहीं होने से अभिभावकों को बच्चों को छोड़ने के लिए आना-जाना पड़ रहा है. अपने काम धंधे छोड़कर बच्चों को स्कूल छोड़ने आना-जाना अखर रहा है क्योंकि पेट्रोल के दामों में पहले से ही आग लगी हुई है. लोगों का कहना है कि सरकार कोई तो पर्यायी व्यवस्था करें. इस तरह हड़ताल के नाम पर परेशान नहीं किया जा सकता.