Cotton Price
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    नागपुर. कपास खरीदी को लेकर हमेशा ही किसानों के बीच संभ्रम की स्थिति बनी रहती है. यहां तक कि कई खरीदी केंद्रों पर समय पर खरीदी नहीं होने के कारण एक ओर जहां समय पर भुगतान नहीं होता वहीं दूसरी ओर त्योहारों में कपास उत्पादक किसानों की झोली खाली रहती है. तमाम समस्याओं को देखते हुए दीपावली के पूर्व कपास खरीदी सुनिश्चित कर 7 दिनों के भीतर भुगतान भी करने के आदेश देने का अनुरोध करते हुए श्रीराम सातपुते ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की.

    याचिका पर दिए गए आदेशों के अनुसार कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा जवाब दायर किया गया किंतु महाराष्ट्र राज्य सहकार कपास फेडरेशन से कोई जवाब नहीं आने के कारण न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने जवाब दायर करने के आदेश दिए. इसके लिए समय मांगे जाने पर 3 सप्ताह का समय देकर सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. संदीप बदाना ने पैरवी की.

    संभव हो तो सुझावों पर निर्णय लें

    अदालत ने जहां कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर या सचिव को जनहित याचिका भेजने के आदेश दिए थे वहीं याचिका में दिए गए सुझावों पर गौर कर यदि वे उपयुक्त हैं और इन्हें लागू करना संभव हो तो आवश्यक कदम उठाने के आदेश भी प्रबंध संचालक को भी दिए थे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि इस संदर्भ में केवल कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को ही निर्णय लेने का अधिकार है. याचिकाकर्ता की ओर से किसानों को राहत के लिए याचिका में कई तरह से सुझाव भी दिए गए. इस पर अमल करने के आदेश प्रतिवादी पक्ष को देने का अनुरोध अदालत से किया गया. 

    खरीदी नीति का है मामला

    अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि भले ही यह किसानों से संबंधित मामला हो लेकिन यह खरीदी नीति से भी संबंधित मामला है. इसमें कई तरह के मुद्दे एक दूसरे से जुड़े हो सकते हैं. इन मुद्दों को लेकर कई तरह के निर्णय लिए गए हो सकते हैं. इन मुद्दों की कल्पना कर आदेश जारी कर पाना अदालत के लिए संभव नहीं है. इसके अलावा किसी तरह के आदेश देने पर बेवजह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. अत: याचिका में दिए गए सुझावों को संबंधित प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करना ही उचित होगा. यदि सुझाव उपयुक्त पाए गए तो संबंधित अधिकारी उचित कार्रवाई करें. इस संदर्भ में अधिक जानकारी होने तथा रिसर्च कर दस्तावेज प्रस्तुत करने के आदेश याचिकाकर्ता को दिए थे. इसके अनुसार याचिकाकर्ता की ओर से दस्तावेज प्रेषित किए गए.