नागपुर. विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट नागपुर ओपी जायस्वाल द्वारा वाड़ी पुलिस स्टेशन थाना क्षेत्र में नाबालिग के सामूहिक दुष्कर्म मामले में 3 आरोपियों को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई. दोषियों में वाड़ी निवासी इमरान शेख रहेमान शेख (19), चिंटू रमेश पाटिल (25) और दिनेश गोविंदराव पवार (21) शामिल हैं. धारा 354 के तहत दोषी साबित होने पर 3 वर्ष की सश्रम जेल और 7,000 रुपये का जुर्माना ठोका. घटना के समय पीड़िता कक्षा 10वीं की छात्रा थी. अत्याचार के बाद उसकी पढ़ाई छूट गई. ऐसे में कोर्ट ने विधि सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिये कि सरकार के माध्यम से पीड़िता के पुनर्वास और पढ़ाई के लिए लगने वाली सारी मदद तुरंत पूरी की जाये.
कोर्ट में पेश करें रिपोर्ट
कोर्ट ने कहा कि इस घटना के कारण पीड़िता को अपनी 10वीं कक्षा की पढ़ाई छोड़कर शहर से जाना पड़ा. इसलिए महाराष्ट्र सरकार को उसके स्कूल एडमिशन, हॉस्टल, मेस, किताबें, यूनिफॉर्म और परिवहन खर्च आदि के भुगतान का निर्देश दिया. साथ ही प्राधिकरण को मुआवजा के लिए भी निर्देश दिया. वहीं वाड़ी पुलिस स्टेशन के पीआई को निर्देश दिये कि वे पीड़िता के पुनर्वास के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करें. साथ ही उपरोक्त निर्देशानुसार जरूरी सुविधायें पूरी की गई या नहीं, इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट के समक्ष पेश करें.
स्कूल टीचर को बताई थी आप बीती
घटना 30 दिसंबर 2016 की है. रात करीब 9 बजे पीड़िता अपनी 4 सहेलियों के साथ कम्प्यूटर क्लास के बाद नवनीत नगर वाड़ी से घर जा रही थी. इसी समय उपरोक्त तीनों आरोपियों और एक विधि संघर्ष बालक ने पीड़िता की सहेलियों से मारपीट की और उसे नवनीत नगर में एमएससीबी की टूटी दीवार के नाले में ले गए. वहां सभी ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया. एक आरोपी क्षेत्र का नामी अपराधी होने से उसने पीड़िता को उसके परिवार समेत जान से मारने की धमकी दी. घटना से पहले मौजूद पीड़िता की सहेली ने भी बदमानी का डर बताकर शांत रहने को कहा. करीब 19 दिनों बाद स्कूल में आयोजित बालिका बचाव मार्गदर्शन कार्यक्रम के बाद पीड़िता ने हिम्मत करके अपनी टीचर को आपबीती सुनाई.
23 दिन बाद दर्ज हुआ मामला
जघन्य अपराध की बात जानकर महिला टीचर ने तुरंत उसके माता-पिता को स्कूल बुलाया. उन्हें सारी बातें बताई गईं. घटना के 23 दिन बाद पीड़िता की माता की शिकायत पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. 23 जनवरी 2017 को चार्जशीट पेश की गई. पुलिस द्वारा पेश किये 16 गवाहों, सबूतों और बयानों के आधार पर कोर्ट ने आरोपियों को जघन्य अपराध का दोषी माना और 20 वर्ष कारवास की कड़ी सजा सुनाई. अपने फैसले के दौरान कोर्ट ने कहा कि पुलिस को महिलाओं और बच्चों की अधिक कुशलतापूर्वक और सतर्कता से सुरक्षा करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे अपराध दोबारा न हों. पुलिस की ओर से सीनियर पीआई राजेश तटकरे, जांच अधिकारी कुटेमाटे और अनिल पोतराजे ने कोर्ट का कामकाज देखा. अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील रश्मि खापर्डे ने पैरवी की.