Gorewada yearning for sewage line; Citizens in preparation for agitation after electricity, water

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    नागपुर. लंबी लड़ाई और कई आंदोलनों के बाद गोरेवाड़ा परिसर के 10,000 से अधिक नागरिकों ने बिजली, पानी और सड़क तो हासिल कर ली लेकिन परिसर के जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ रहे सीवेज वाटर को लेकर कोई सुविधा नहीं है. ऐसे में अब परिसर की करीब 9 कॉलोनियों के नागरिकों ने एक बार फिर प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी शुरू कर दी है.

    घरों के किनारे जमा हो रहा गंदा पानी

    गोरेवाड़ा परिसर में तेजी से घर बन रहे हैं. ऐसे में यहां रहने वालों की संख्या भी बढ़ रही है लेकिन गृह निर्माण के दौरान सेप्टिक टैंक बनाना आर्थिक रूप से हर किसी के लिए संभव नहीं हो पा रहा है. वहीं पहले से रह रहे कई लोगों द्वारा खुले प्लॉट में ही गंदा पानी बहा दिया जा रहा है. ये उनकी मजबूरी है लेकिन यह खुला गंदा पानी क्षेत्र में बीमारियां फैलाने के लिए काफी है. नागरिकों का कहना है कि यदि सीवेज लाइन बन जाए तो एक साथ कई परेशानियां हल हो जाएं. सबसे बड़ी परेशानी खुले में गंदा पानी बहने या जमा होने की है.

    कई बस्तियां समस्याग्रस्त 

    गोरेवाड़ा क्षेत्र की निर्मल कॉलोनी, दर्शना कॉलोनी, विशाखा कॉलोनी, नटराज-1 और 2 परिसर, नटराजनगर, अवंतिका सोसाइटी, सबीना और नर्मदा सोसाइटी में करीब 10,000 से अधिक नागरिक रहते हैं. धीरे-धीरे नये घर बनते जा रहे हैं, इसलिए यहां रहने वालों की संख्या भी बढ़ रही है. पिछले वर्ष तक ये सभी नागरिक पीने के साफ पानी, स्ट्रीट लाइट, बेहतर सड़कों के लिए तरस रहे थे. ऐसे में नागरिकों ने आंदोलन का सहारा लिया और कभी हर घर दीया आंदोलन किया तो कभी पीने के साफ पानी के लिए मनपा और एनआईटी के खिलाफ मोर्चा खोला. 

    … तो दूसरा रास्ता नहीं

    पिछले आंदोलनों में शामिल आनंद तिवारी ने कहा कि सीवेज लाइन का काम एनआईटी के अधिकार क्षेत्र में है. बताया जा रहा है कि जल्द ही क्षेत्र में यह काम शुरू हो जाएगा लेकिन यह बात कई महीनों से कही जा रही है. काम है कि शुरू होने का नाम नहीं ले रहा. करीब 10 सोसाइटियों और कॉलोनियों के नागरिकों को बरसों तक स्ट्रीट लाइट के लिए तरसाया गया, पीने का साफ पानी तक नसीब नहीं होता था. इसी उदासीनता ने उन्हें आंदोलन करने को मजबूर किया था. अब सीवेज लाइन को लेकर जारी लेटलतीफी एक बार फिर नागरिकों में रोष भर रही है. ऐसे में नागरिकों के पास एनआईटी के खिलाफ आंदोनल के अलावा दूसरा रास्ता नहीं रहा.