Gosikhurd opened 15 doors 0.50 m

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    • 101.33 करोड़ का प्राथमिक प्रस्ताव
    • 2 वर्ष में 7 लाख पर्यटकों के आने की उम्मीद
    • 150 स्थानीय युवाओं को मिलेगा प्रत्यक्ष रोजगार

    नागपुर. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गोसीखुर्द प्रकल्प जलाशय में अंतरराष्ट्रीय दर्जे का जल पर्यटन स्थल साकार करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया है. इस संदर्भ में मुंबई में हुई बैठक में उन्होंने जलसंपदा विभाग व पयर्टन विभाग को मिलकर प्रोजेक्ट को साकार करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि पर्यटन स्थल के रूप में विकास किये जाने पर विस्थापित लोगों को रोजगार का बड़ा मौका मिलेगा. प्रोजेक्ट को साकार करने के लिए जलसंपदा विभाग व एमटीडीसी के बीच करार करने का भी निर्णय लिया गया. एमटीडीसी के अधिकारी जोशी ने बैठक में जानकारी दी कि इस संदर्भ में अध्ययन किया गया है. यहां से 50 से 100 किमी की रेंज में ताड़ोबा, नागझिरा, उमरेड, करांडला व्याघ्र प्रकल्प, कोका अभयारण्य भी है जिन्हें मिलाकर टूरिस्ट सर्किट विकसित किया जाएगा.

    प्री-डीपीआर तैयार

    इस प्रोजेक्ट का प्री-डीपीआर तैयार है जिसमें 101.33 करोड़ की लागत बताई गई है. प्रकल्प शुरू होने के बाद 2 वर्षों में हर वर्ष 7 लाख पर्यटकों के आने की अपेक्षा है. स्थानीय स्तर पर होटल, रेस्टोरेंट और अन्य पर्यटन उद्योग का निवेश बढ़ेगा. शुरुआत के दो वर्ष में 150 स्थानीय युवाओं को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. आगे 4 वर्ष में 5,000 रोजगार के अवसर निर्मित होंगे और क्षेत्र में लगभग 100 करोड़ रुपये का पर्यटन व्यवसाय होने का अनुमान है. 

    यह होगी मनोरंजक सुविधाएं

    गोसीखुर्द जल पर्यटन स्थल में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई तरह के मनोरंजक सुविधाएं उपलब्ध की जाएंगी. यहां रात में जलसफर, बोट हाउस, भंडारा से पवनी पर्यटन स्थल को जोड़ने के लिए जेट्टी व्यवस्था, म्यूजिकल फाउंटेन, बोटिंग, सर्फिंग की सुविधा, मरिना व रैम्प, रॉकपुल, हो-हो बोट, बम्पर राइड, फ्लाइंग फिश, जेटाव्हेटर, पैरासेलिंग आदि रोचक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. चूंकि यह भंडारा व नागपुर शहर से अनेक रास्तों से जुड़ा है इसलिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आएंगे.

    तेजी से हो 26 गांवों का पुनर्वास 

    इस प्रकल्प के भंडारा जिले के 26 प्रकल्पग्रस्त गांवों के तत्काल  पुनर्वास का निर्देश भी सीएम ने दिया है. इस संदर्भ में आयोजित बैठक में विधायक नरेन्द्र भोंडेकर, विभाग के मुख्य सचिव दीपक कपूर, प्रधान सचिव असीमकुमार गुप्ता, भंडारा जिलाधिकारी संदीप कदम उपस्थित थे. प्रकल्प के कारण भंडारा जिले के 34 गांव पूर्णत: और 70 गांव अंशत: गांवठान बाधित थे लेकिन वैनगंगा नदी के किनारे ऊंचाई पर बसे ऐसे 26 गांवों को चिन्हित किया गया है जो डैम का जल स्तर बढ़ने पर खतरे में आ सकते हैं. इनकी सुरक्षा को देखते हुए पुनर्वास की मांग की गई थी.