Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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    नागपुर. पुलिस आयुक्त द्वारा जारी किए गए एमपीडीए के आदेश को चुनौती देते हुए चेतन मेश्राम ने हाई कोर्ट में फौजदारी याचिका दायर की. इस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश जीए सानप ने राज्य सरकार के अति. मुख्य सचिव (गृह) तथा पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. आरएच रावलानी, अधि. अतुल रावलानी तथा सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एमके पठान ने पैरवी की. याचिकाकर्ता ने बताया कि पुलिस की ओर से हुई कार्रवाई तर्कसंगत नहीं है जिसमें नियमों को दरकिनार कर याचिकाकर्ता को एमपीडीए के तहत जेल रवाना कर दिया गया.

    डिटेंशन ऑर्डर निरस्त करने का अनुरोध

    याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधि. रावलानी ने कहा कि 29 मार्च 2022 को पुलिस आयुक्त ने एमपीडीए की धारा 3 (1) के तहत आदेश जारी किया. आयुक्त के आदेशों के तुरंत बाद पुलिस ने याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल भेज दिया. पुलिस की इस गैरकानूनी कार्रवाई के खिलाफ नियमों के अनुसार 12 अप्रैल 2022 को गृह विभाग के अति. मुख्य सचिव के पास अनुरोध पत्र दायर किया गया जिसमें पुलिस आयुक्त की कार्रवाई को खारिज करने तथा डिटेंशन ऑर्डर को निरस्त करने का अनुरोध किया गया. 27 अप्रैल 2022 को सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष द्वारा दोनों पक्षों की दलीलों को सुना गया जिसके बाद गृह विभाग के अति. मुख्य सचिव को सुझाव भेजे गए.

    भेज दिया पुणे के येरवड़ा जेल

    याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि बोर्ड से सुझाव प्राप्त होने के बाद 29 अप्रैल को अति. मुख्य सचिव ने आदेश जारी किया जिसमें याचिकाकर्ता के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. न केवल डिटेंशन ऑर्डर निरस्त करने से इनकार किया बल्कि पुलिस आयुक्त के आदेश पर मुहर भी लगा दी. इसके बाद 4 मई को याचिकाकर्ता को सेंट्रल जेल से पुणे के येरवड़ा जेल में शिफ्ट किया गया. न्याय नहीं मिलने के कारण मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.