नागपुर. दुष्कर्म के अलग-अलग मामलों में सत्र न्यायालय द्वारा 2 आरोपियों को दोषी करार दिया गया. एक को आजीवन कारावास जबकि दूसरे को 20 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई. अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश एस.एस. नागुर ने वाड़ी थाने में दर्ज मामले में आरोपी को दोषी करार दिया. दोषी आंध्र प्रदेश निवासी व्यंकटेश कालराज पासपलेटी (32) बताया गया. बरी हुए 2 आरोपियों में उस्मानाबाद निवासी रामू गोपाल बोई (26) और दुर्ग निवासी कैलाश सोमय्या शिंदे (39)का समावेश है.
वाड़ी थाना क्षेत्र में रहने वाली 45 वर्षीय महिला की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था. महिला की 25 वर्षीय बेटी मतिमंद थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपियों ने उसका फायदा उठाया. अप्रैल 2018 से 30 जून 2018 के बीच उसके साथ दुष्कर्म किया. इससे पीड़िता गर्भवती हो गई. तबीयत बिगड़ने पर मां उसे अस्पताल ले गई और घटना का पता चला. पुलिस ने तीनों आरोपियों के खिलाफ दुष्कर्म की विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया.
तत्कालीन सहायक निरीक्षक रेखा संकपाल ने प्रकरण की जांच कर न्यायालय में आरोपपत्र दायर किया. सरकारी वकील वर्षा सायखेड़कर आरोपी व्यंकटेश के खिलाफ आरोप सिद्ध करने में कामयाब हुईं. न्यायालय ने उसे दोषी करार देते हुए आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई जबकि अन्य 2 को आरोप सिद्ध नहीं होने के कारण बरी कर दिया. बतौर पैरवी अधिकारी हेड कांस्टेबल अमरदीप खंडारे और पोतराजे ने अभियोजन पक्ष का सहयोग किया.
किशोरी का अपहरण कर किया था रेप
गिट्टीखदान थाने में दर्ज किशोरी से दुष्कर्म के मामले में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश एस. आर. त्रिवेदी ने आरोपी को पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दोषी करार देते हुए 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई. 30 जनवरी, 2017 को पुलिस ने 16 वर्षीय पीड़िता के पिता की शिकायत पर गंगानगर निवासी इम्तियाज कय्यूम अंसारी (21) के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
इम्तियाज ने किशोरी को अपने जाल में फंसाया. उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ अजमेर ले गया. वहां उसने किशोरी के साथ दुष्कर्म किया. युवती के लापता होने के कारण परिजनों ने पुलिस से शिकायत की थी. अपहरण के बाद पुलिस ने रेप और पोक्सो सहित विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया.
तत्कालीन सब इंस्पेक्टर नितिन मदनकर ने प्रकरण की जांच कर न्यायालय में आरोपपत्र दायर किया. सरकारी वकील सोनाली राऊत आरोप सिद्ध करने में कामयाब हुईं. न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार दिया. बतौर पैरवी अधिकारी एएसआई मनोज नगरुरकर, हेड कांस्टेबल अवस्थी और नंदिनी कोहले ने अभियोजन पक्ष को सहयोग किया.