Dharmesh Dhawankar

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नागपुर. नागपुर विश्वविद्यालय के जनसंवाद विभाग के प्रा. धर्मेश धवनकर द्वारा लाखों रुपये की शुल्क वसूली मामले में 7 विभाग प्रमुखों ने विश्वविद्यालय में शिकायत की थी. बाद में 4 प्राध्यापकों ने ‘सेटलमेंट’ करते हुए शिकायत वापस ले ली. सीनेट की बैठक में सदस्यों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए ‘सेटलमेंट’ करने वाले प्राध्यापकों के खिलाफ भी जांच व कार्रवाई करने की मांग की. सदस्यों का कहना था कि विश्वविद्यालय की छवि खराब करने वालों से भी कारण पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने शिकायत क्यों वापस ली.

प्रश्नोत्तर के दौरान सदस्य एड. मनमोहन वाजपेयी के सवाल पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बताया कि प्रा. धवनकर के खिलाफ जांच चल रही है. जांच को पूरे डेढ़ वर्ष हो गये हैं. अब तक करीब 20 बैठकें भी हुईं. हर बैठक में कोई नया आवेदन किया जाता है. इस वजह से जांच प्रक्रिया बढ़ती ही जा रही है. निवृत्त जिला न्यायाधीश मामले की विभायीय जांच कर रहे हैं लेकिन अब तक रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है.

इस पर सदस्य विष्णु चांगदे ने कहा कि शिकायतकर्ता 4 प्राध्यापकों ने सेंटलमेंट करते हुए अपनी शिकायत क्यों वापस ली, इस पर विवि की ओर से बताया गया कि जांच समिति ने सभी चारों प्राध्यापकों को उनका पक्ष रखने के लिए बुलाया भी लेकिन वे कभी भी हाजिर नहीं हुए. चांगदे ने कहा कि धवनकर इससे पहले भी आर्थिक अनियमितता में दोषी पाये गये थे.

विवि ने उन्हें 2 बार संस्पेंड भी किया है. शिकायत वापस लेने वाले प्राध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. इस पर उपकुलपति प्रा. प्रशांत बोकारे ने कहा कि मामला गंभीर है. विश्वविद्यालय की बदनामी करने के बाद प्राध्यापकों ने शिकायत क्यों वापस ली. इस मामले में जांच समिति के अध्यक्ष से चर्चा कर समूची परिस्थिति को स्पष्ट करेंगे.