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    • 199 नर्सों के पद खाली
    • 13 वर्ग ब के पद
    • 15 प्रशासकीय अधिकारी व लिपिक कम

    नागपुर. सरकार द्वारा शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पतालों में रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर बरती जा रही उदासीनता की वजह से स्वास्थ्य सेवा सहित प्रशासकीय व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है. हर दिन किसी न किसी विभाग में कर्मचारी निवृत हो रहे हैं. इससे अन्य कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है. डॉक्टर, नर्स से लेकर वर्ग 4 तक के कर्मचारियों की कमी ने समूची व्यवस्था को प्रभावित कर दिया है. मेडिकल में मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. इन दिनों केवल ओपीडी में 2,500-3,000 मरीज हर दिन आ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मैन पॉवर की कमी गंभीर समस्या बनी हुई है.

    पिछले वर्षों से मेडिकल में आउट सोर्सिंग कर वर्ग-4 के तहत अटेंडेंट की नियुक्ति की गई है, लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो सका. वर्तमान में मेडिकल में नर्सों के 199 पद खाली है. वर्ग-ब के कुल 43 मंजूर पदों में से 13 पद खाली है. वहीं वर्ग 1 व 2 के 50 पदों में से 19 पद खाली है. जबकि प्रशासकीय व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारी सहित लिपिक वर्ग के 77 पदों में से 15 पद खाली है. 

    पुराने ढर्रे पर लौटा विभाग

    खाली पदों की वजह से व्यवस्था पर सीधा असर हो रहा है. पिछले दिनों वैद्यकीय शिक्षा व अनुसंधान विभाग ने ऑनलाइन सेवा भी बंद कर दी. इस वजह से मरीजों व उनके परिजनों की परेशानी बढ़ गई है. मेडिकल, मेयो और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में रजिस्ट्रेशन से लेकर विविध टेस्ट कराने के लिए बने काउंटर पर भीड़ जैसी स्थिति रहती है. सिटी से बाहर के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. एक ओर जहां अन्य सरकारी विभागों में ऑनलाइन सेवा को प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर वैद्यकीय शिक्षा विभाग पुराने ढर्रे पर लौट आया है. 

    अपने गृह नगर पर ध्यान दें फडणवीस

    इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि सरकार का सरकारी मेडिकल कॉलेजों की ओर ध्यान नहीं है. यदि ध्यान होता तो कर्मचारियों से लेकर डॉक्टरों तक को बार-बार हड़ताल करने की नौबत नहीं आती. राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बने हैं. यही वजह है कि उनसे उम्मीदें लगी हुई है. अपने गृह नगर के मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्था में सुधार के लिए प्रयास करेंगे. वैसे भी इस वर्ष मेडिकल कॉलेज अपनी स्थापना के 75 वर्ष मना रहा है. इस हालत में प्रशासकीय सहित स्वास्थ्य सेवा में सुधार की आवश्यकता है. मेडिकल में न केवल विदर्भ बल्कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना से भी मरीज आते हैं. मरीजों को बेहतर सेवा मिलना जरूरी है.