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  • अब वायरल कल्चर, टिशू कल्चर पर भी काम

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नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल की स्टेट लेवल वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी (एसवीआरडीएल) ने 1 लाख से अधिक कोविड नमूनों के परीक्षण को पूरा किया है. नमूने केवल नागपुर जिले के ही नहीं बल्कि विदर्भ सहित आसपास के भी जिलों के थे. एसवीआरडीएल को 14 मई 2019 को स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन वास्तविक काम की शुरुआत 9 अप्रैल 2019 से कोरोना परीक्षण से हुई.

नमूनों के परीक्षण के शुरुआत की पहल डीन डॉ. सजल मित्रा, पूर्व मेडिकल सचिव डॉ. संजय मुखर्जी और वैद्यकीय शिक्षा व अनुसंधान संचालक डॉ. टीपी लहाणे के प्रयासों से की गई. लॉकडाउन के दौरान कोविड-19 परीक्षण का अंतिम निष्पादन माइक्रोबायोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. सुनंदा श्रीखंडे, लैब इंचार्ज डॉ. स्वाति भिसे और एसो. प्रोफेसर डॉ. संदीप कोकाटे द्वारा किया गया. शुरुआत में लैब की क्षमता महज 100 नमूनों के परीक्षण की थी. लेकिन वर्तमान में 1,000 से अधिक नमूनों की जांच की जा सकती है. कोविड टेस्ट आरटीपीसीआर, सीबीनेट द्वारा किया जाता है. सीबीनेट के माध्यम से जांच में मृत रोगियों की रिपोर्ट एक घंटे के भीतर आ जाती है.

जल्द ही दूसरे चरण की शुरुआत

प्रयोगशाला से सफल संचालन के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, पीजी, 3 रिसर्च साइंटिस्ट, 2 रिसर्च असिस्टेंट और तकनीशियन द्वारा किया जा रहा है. लैब समन्यवक के रूप में डॉ. नितिन ढोकणे अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ लैब का काम संभाल रहे हैं.

कोविड परीक्षण के साथ ही एसवीआरडीएल सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के लिए पीसीआर प्रशिक्षण में भी शामिल है. एसवीआरडीएल की एक टीम ने डॉ. संदीप कोकाटे की अगुवाई में 2 शोध वैजानिक प्रीति साहू और सना पठाण के साथ मिलकर मई में जलगांव जाकर वहां की भी जिम्मेदारी निभाई. एसवीआरडीएल प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में वाइरल कल्चर, टिशू कल्चर, सीरोलॉजी और विभिन्न वायरल उपभेदों की सिक्वेंसिंग जल्द ही शुरू होगी.