Crime

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    नागपुर. वर्तमान समय में भी लोग झाड़-फूंक और टोने-टोटके पर विश्वास करते हैं. केवल अशिक्षित ही नहीं कई समझदार लोग भी ढोंगी बाबा के झांसे में आकर तंत्र-मंत्र में लग जाते हैं. राणाप्रतापनगर थाना क्षेत्र में हुई 5 वर्षीय अनिक्षा की हत्या इसका बड़ा उदाहरण है. चंद्रपुर के भिवापुर में रहने वाले शंकर बाबा बोंबाड़े ने अपने घर में ही एक मंदिर बनाया था. यहीं से वह अपनी दूकानदारी चलाता था. पहले मंदिर बनवाया, फिर बाहर पूजा सामग्री की दूकान खोल ली. उसने पुलिस को बताया कि वह केवल जप करके लोगों की परेशानी दूर करने का प्रयास करता था. उसके पास सांसद और विधायक भी अपनी समस्या लेकर आते थे. पूजा-पाठ के नाम पर वह अपनी झाड़-फूंक की दूकान चला रहा था. सच तो यह है कि वह परेशान लोगों की ताक में रहता था. अपनी समस्या दूर करने के लिए लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते थे. अनिक्षा हत्याकांड भी कुछ ऐसा ही है.

    पहली बात तो किसी के शरीर में भूत-प्रेत आना ही विश्वास करने लायक नहीं है. ऐसे में जिंदा व्यक्ति की आत्मा दूसरे व्यक्ति के शरीर में कैसे जा सकती है. अनिक्षा को डरा-धमकाकर प्रताड़ित कर उसके अंदर छिपी आत्मा के बारे में पूछा जाता था. एक बार उसने अपनी मौसी प्रिया बंसोड़ के पति अमर बंसोड़ का नाम ले लिया. तब से पूरा परिवार यह मान रहा था कि अनिक्षा के शरीर में अमर की आत्मा घुस गई है. किसी की मृत्यु होने के बाद ऐसी बातों पर विश्वास करना भी सही नहीं है. ऐसे में चिमणे परिवार जिंदा व्यक्ति अमर की आत्मा बाहर निकालने के लिए अनिक्षा को प्रताड़ित कर रहा था.

    भतीजे ने बनाया था वीडियो 

    28 जुलाई को चिमणे परिवार अनिक्षा को टाकलघाट लेकर गया था. वहां शंकर ने अनिक्षा का हाथ पकड़कर शरीर में बसी आत्मा के बारे में पूछने का ढोंग किया था. वहां कुछ टोने-टोटके भी किए गए. उस समय सिद्धार्थ चिमणे के बड़े भाई का बेटा भी टाकलघाट गया था. उसने अपने मोबाइल से पूरी क्रिया का वीडियो बना लिया था. दूसरे दिन उसने सोशल मीडिया पर वीडियो डाल दिया. उसे 1000 से ज्यादा लाइक भी मिल गए. सिद्धार्थ इस बात से आग-बबूला हो गया था.

    वह नहीं चाहता था कि इन सब चीजों की जानकारी बाहरी व्यक्ति को मिले. इसीलिए उसने भतीजे का मोबाइल फोन भी फोड़ दिया था. भतीजे ने नया मोबाइल खरीदकर मांगा तो विवाद हो गया. सिद्धार्थ ने भाई-भतीजे के साथ हाथापाई भी की. इसकी रिपोर्ट राणाप्रतापनगर थाने में की गई थी. पुलिस सिद्धार्थ के घर पर भी गई लेकिन उसे शक था कि पुलिस घर में प्रवेश करेगी तो उसका भांडा फूट जाएगा. इसीलिए वह खुद ही थाने आने को तैयार हो गया. तुरंत ही अपनी गलती मानते हुए समझौता कर मामला को रफा-दफा कर दिया.