license of the hawkers will be canceled
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    नागपुर. दशकों से नगर प्रशासन सिटी के हॉकरों के लिए ठोस नीति नहीं बना पाया है. हॉकर्स जोन तो कागजों में दम तोड़ चुका है. अब तो इसकी चर्चा तक नहीं होती. परिणाम शहरवासी भुगत रहे हैं. सिटी में ऐसा एक भी बाजार क्षेत्र या सड़कें नहीं हैं जहां फुटपाथ पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा न हों. फुटपाथ तो पैदल चलने वालों के लिए बनाया गया है लेकिन उसका उपयोग अतिक्रमण करने वाले ठेलों, गुमटियों और विक्रेताओं के लिए परमानेंट जगह बन चुकी है. वहीं कई सड़कों पर बाजार लगते हैं.

    अतिक्रमण उन्मूलन दस्ते लगातार कार्रवाई करते रहते हैं लेकिन उनकी कार्रवाई का असर महज घंटे-दो घंटे का ही होता है. इधर दस्ता गुजरा, उधर दोबारा कब्जा कर लिया जाता है. सिटी के फुटपाथ हॉकरों का परमानेंट ठीया बन गए हैं कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. कोरोना काल से फुटपाथों पर विक्रेताओं की संख्या में 3-4 गुना इजाफा नजर आ रहा है. ऐसी कई सड़कें हैं, जहां दो वर्ष पूर्व तक इक्का-दुक्का ठेले व गुमटियां फुटपाथ पर नजर आते थे लेकिन आज उन्हीं सड़कों पर बाजार लगने लगा है. 

    किसी भी इलाके को नहीं छोड़ा

    बाजार क्षेत्रों की तो छोड़ ही दें. कई रिहायशी बस्तियों के मुख्य सड़कों पर और फुटपाथों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया है. सिटी से सटे हुए इलाके विकसित हो रहे हैं. सीमेन्ट की सड़कें बन रही हैं और साथ ही चौड़े फुटपाथ भी बनाए जा रहे हैं. हालत यह है कि रोड का काम पूरा होते ही किनारों पर बड़ी संख्या में खानपान के ठेले, सब्जी-फल व अन्य सामान बेचने वालों का कब्जा हो रहा है. लगता है यह रोड या फुटपाथ बनने का इंतजार ही कर रहे होते हैं. ऐसे रिहायशी इलाकों में लोगों को इन अतिक्रमणकारियों के चलते परेशानी बढ़नी शुरू हो गई है. सिटी के भीतर तो सुबह 8 बजे के बाद ही फुटपाथों पर सब्जी, नाश्ता-चाय के ठेलों का कब्जा हो जाता है, जो देर रात कर बना रहता है. नागरिकों को फुटपाथ पर चलने को जगह नहीं मिलती. वहीं नये रिहायशी इलाकों में भी ऐसा ही हाल होता जा रहा है. 

    दूकानदारों की भी दादागिरी

    बाजार क्षेत्रों में तो दूकानदार और बड़े शोरूम वाले भी अपनी दूकान के सामने फुटपाथ पर सामान सजाते हैं. कहीं-कहीं तो सेकंड हैंड दोपहिया और फोर व्हीलर विक्रेता फुटपाथ पर ही दूकान सजा रहे हैं. कपड़े वाले तो पूरी दूकान ही बाहर सजाते नजर आते हैं. इन्हें लगता है कि इनकी दूकान के सामने का फुटपाथ उनकी ही मालिकी का है. वहीं पूरे शहर में मार्केट एरिया में तो फुटपाथ पार्किंग स्थल बन गए हैं. कुछ होटलों, अस्पतालों के सामने फुटपाथ पर दोपहिया व चार पहिया वाहहनों की पार्किंग ही फुटपाथ पर होती है. ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी नहीं होती. पूरी दादागिरी ही चल रही है.

    रैकेट हैं सक्रिय

    सूत्र तो बताते हैं कि कुछ इलाकों में केवल इसलिए कार्रवाई नहीं की जाती क्योंकि संबंधित विभाग के कर्णधारों और इलाके के पुलिस से सेटिंग होती है. बजाजनगर चौक से लक्ष्मीनगर चौक के बीच में रोज दोपहर से ही एक ही नाम के पावभाजी वालों के दर्जनों ठेले एक साथ फुटपाथ पर कब्जा जमाते हैं. इनके आगे कुछ पानीपुरी-चाट वाले भी ठेले भी जमते हैं. यह सब काछीपुरा बस्ती के हैं और एक ही मालिक है.

    बताया जाता है कि यह संबंधित विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मियों से सेटिंग कर यहां फुटपाथ पर कब्जा जमाता है. जैसे उसने फुटपाथ खरीद ही लिया हो. इसी तरह सिटी में कई इलाके हैं जहां फुटपाथ पर कुर्सी-टेबल लगाकर खानपान की गुमटियां व ठेले सज रहे हैं. इन सबसे से वसूलीबाज कर्मचारियों से सेटिंग बताई जाती है. फुटपाथ पैदलचारियों के लिए बनाये गए हैं लेकिन उस पर दूकानें सजाई जा रही हैं.