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    नागपुर. किसी भी शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था वहां की पहचान होती है, क्योंकि अन्य शहर से आये लोगों को वहां के रास्ते पता नहीं होते. ऐसे में अपने गंतव्य जाने के लिए सबसे पहले उसका सामना ऑटो रिक्शा होता है. यहां से उस व्यक्ति को जो भी देखने मिलता है, वह सिटी की सूरत बिगाड़ने के लिए काफी होता है. चाहे स्टेशन हो या बस स्टॉप या फिर एयरपोर्ट, दूसरे शहर से आये लोगों को ओवर सीट ऑटो रिक्शा नजर आते है. वहीं, किराये के लिए उचित दर के लिए ऑटो चालक से बहस करनी ही पड़ती है. कुल मिलाकर केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के शहर की सूरत पर ओवर सीट ऑटो रिक्शा धब्बों से कम नहीं.

    मजबूरन होना पड़ता है सवार

    मुंबई में रहने वाले संकेत शर्मा एक निजी कम्पनी में मार्केटिंग मैनेजर है. वह अक्सर काम के सिलसिले में ट्रेन से नागपुर आते-जाते रहते हैं. अपने गंतव्य तक जाने के लिए उन्हें ऑटो रिक्शा ही सबसे बेहतर साधन लगता है लेकिन यहां सबसे पहले उनका सामना ओवर सीट ऑटो से होता है. इसे ही सिटी की अंतिम व्यवस्था समझकर संकेत और उनके जैसे लोग मजबूरी में लटकते, सीमटते हुए पहले से ओवर सीट आॉटो में एक सीट और बढ़ा देते हैं. यदि कोई ऑटो रिक्शा खाली मिले भी तो मनमाना किराया सुनकर पसीना छूट जाता है. काफी देर तक उन्हें किराया कम करने लिए मजबूरन बहस करनी पड़ती है. इसके उलट, मुंबई पहुंचते ही वे सीधे ऑटो में सवार होते हैं, मीटर डाउन होता है और बिना किसी बहस और भाव किये वे आरटीओ द्वारा तय दर के हिसाब से घर पहुंच जाते हैं लेकिन उन्हें या ऑरेंज सिटीवासियों को यह अनुभव कभी नहीं मिला.

    शोपीस बने मीटर

    कुछ वर्ष पहले आरटीओ और शहर ट्रैफिक विभाग द्वारा शहर के सभी ऑटो में जबरन मीटर लगवा दिये गये थे. इसके बाद बिना मीटर वाला ऑटो रिक्शा चलाने की सख्त नियम बना दिया गया है. हालांकि अब ये मीटर सिर्फ शोपीस बनकर रहे गये हैं क्योंकि कोई ऑटो रिक्शा चालक इनका उपयोग नहीं करना चाहता. यदि सवारी चाहे तो उसे ऑटो रिक्शा से उतार दिया जाता है. कुल मिलाकर जिस जोर-शोर के साथ ये मीटर लगवाये गये थे, सारे ढकोसला साबित हो रहा है.

    स्पीड जानलेवा तो ओवर सीट क्यों नहीं

    सिटी की सड़कों पर दौड़ रहे ओवर सीट ऑटो यमदूत के वाहन से कम नजर नहीं आते. अधिकतम 3 सवारियों के क्षमता वाले ऑटो रिक्शा में भी 8-8 लोगों को देखा जा सकता है इसमें भी ड्राइवर को नहीं बिना जाता. ट्रैफिक पुलिस से बचने के लिए चालक ओवर सीट होने के बावजूद ऑटो रिक्शा को फूल स्पीड में दौड़ाते हैं. इससे हमेशा ही दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. कुछ दिन पहले ही राज्य सरकार के परिवहन विभाग द्वारा वाहनों की अधिक स्पीड को बढ़ती जानलेवा सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बताया था. विभाग द्वारा विभिन्न सड़कों और वाहनों के अनुसार स्पीड लिमिट तय करके शासकीय आदेश भी जारी किया. लेकिन हैरानी की बात है कि परिवहन विभाग ने ओवर सीट ऑटो रिक्शा को जानलेवा नहीं समझा. यूं तो विभाग द्वारा पुणे और मुंबई में मीटर नियम का सख्ती से पालन किया जाता है लेकिन नागपुर आकर यह व्यवस्था क्यों फेल हो जाती है यह बात समझ से परे हैं.