Bridge collapsed

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    • 60 के दशक में हुआ था निर्माण
    • 08 करोड़ खर्च का अब किया प्रावधान

    नागपुर. रविवार की पूरी रात जारी रही झमाझम बारिश के चलते सुबह तड़के अचानक यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी के पास स्थित पुल का अधिकांश हिस्सा ढह गया. सुबह तड़के इस मार्ग पर आवाजाही नहीं होने के कारण अनहोनी टल गई. बताया जाता है कि 60 के दशक में इस पुल का निर्माण प्रन्यास ने किया था. विकास के बाद मनपा को इसका हस्तांतरण हो चुका था किंतु मनपा ने इसकी जर्जर हालत पर कभी ध्यान नहीं दिया. जबकि इसे लेकर कई बार प्रशासन की आंखें खोलने का प्रयास किया गया. बताया जाता है कि प्रन्यास को शहर विकास के लिए 7 योजनाएं दी गई थीं. उसी समय रामदासपेठ और पश्चिम नागपुर का काफी हिस्सा प्रन्यास के माध्यम से विकसित किया गया था जिसमें इस पुल का निर्माण भी शामिल था.

    सीमेंट रोड बना लेकिन पुल नहीं

    हाल ही में यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी चौक से लेकर रामदासपेठ के सेंट्रल बाजार रोड तक सीमेंट रोड का निर्माण किया गया. इस समय स्थानीय पार्षद रूपा राय ने सीमेंट रोड के साथ ही पुराना और जर्जर हो चुका पुल भी निर्मित करने की मांग मनपा प्रशासन से की थी किंतु निधि की कमी का हवाला देकर प्रशासन ने केवल सीमेंट रोड का निर्माण किया और पुल का ज्यों के त्यों रखा. पुल के आसपास सीमेंट की पेवमेंट लगाकर लीपापोती कर दी गई. बताया जाता है कि पुल की जर्जर हालत को लेकर न केवल मनपा मुख्यालय बल्कि धरमपेठ जोन के सहायक आयुक्त रहे प्रकाश वराडे को भी कई बार इसकी जानकारी दी गई थी किंतु ध्यान नहीं दिया गया. 

    कितने वर्ष टिकेगा पत्थरों के कॉलम का पुल

    मनपा में पूर्व कार्यकारी अभियंता ने बताया कि जिस समय सीमेंट रोड का निर्माण किया जा रहा था, इसका विरोध किया गया था. सर्वप्रथम पुल का पुनर्निर्माण करने का सुझाव बतौर इंजीनियर दिया था. किंतु इसे दरकिनार कर दिया गया. 60 वर्ष पूर्व पत्थरों के कॉलम तैयार कर पुल का निर्माण किया गया था. पत्थरों के कॉलम होने के कारण हर वर्ष की बारिश इसे जर्जर करते रही है. 2 वर्ष पूर्व भी बारिश में ही इसी तरह से पत्थरों का कॉलम खिसक गया था जिसकी फोटो लेकर तत्कालीन आयुक्त को भेजी गई थी. किंतु हमेशा की तरह मनपा ने इसे अनसुना कर दिया. गत 10 वर्षों से पुल की हालत जर्जर थी. किसी भी समय हादसा होने की भलीभांति जानकारी मनपा प्रशासन को दी गई थी. 

    हो गया हादसा, अब निकाला टेंडर

    बताया जाता है कि हादसे को लेकर जो आशंकाएं जताई गई थीं, वहीं साबित हुईं. देर से ही सही, अब जाकर पुल के निर्माण के लिए 8 करोड़ का प्रावधान किया गया है. यहां तक कि टेंडर की प्रक्रिया भी अपनाई गई है. बताया जाता है कि 2-3 दिनों में ही टेंडर को खोला जाएगा. जानकारों के अनुसार अभी भी मनपा प्रशासन गलती दोहरा रहा है. नाग नदी के पुनरुद्धार और विस्तार की योजना है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की घोषणा के अनुसार नाग नदी से नाव चलाई जानी है. ऐसे में यदि अब पुल का निर्माण किया जाना है तो उसी तरह से ऊंचाई निर्धारित होनी चाहिए. 

    भारी वाहनों पर पाबंदी का अनुरोध

    सूत्रों के अनुसार 2 वर्ष पूर्व ही कुछ हिस्सा खिसक जाने के बाद मनपा को इसकी सूचना दी गई थी. साथ ही यहां से भारी वाहनों की आवाजाही बंद करने का अनुरोध किया गया था. कुछ हिस्सा खिसक जाने के कारण मनपा ने पुलिस को पत्र लिखकर भारी वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी का बोर्ड लगाने के निर्देश दिए थे. पुलिस के ट्रैफिक विभाग ने भी उस समय खानापूर्ति कर पुल के दोनों कोनों में एक बोर्ड लगा दिया. बोर्ड ऐसी जगहों पर लगा दिया जो कभी किसी को दिखाई नहीं दिया. भारी वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी के लिए इससे अधिक कुछ नहीं किया गया. अब पुल का अधिकांश हिस्सा ढह जाने के बाद दोनों ओर बैरिकेड लगाकर आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी गई है.