bad impact on the business of Ganesh idols in Maharashtra
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नागपुर. हर वर्ष त्योहारों के दौरान पीओपी की मूर्तियों को लेकर भले ही विवाद उलझा रहा हो लेकिन अब इस वर्ष से सिटी के भीतर किसी भी हाल में पीओपी की मूर्तियां नहीं आने का कड़ा रुख घनकचरा व्यवस्थापन विभाग के संचालक तथा उपायुक्त गजेन्द्र महल्ले ने स्पष्ट किया. शुक्रवार को मनपा मुख्यालय में पुलिस प्रशासन, सिटी के परंपारिक मूर्तिकार संघ, और स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई. चर्चा के दौरान महल्ले ने कहा कि पीओपी की मूर्तियों पर पूरी तरह से पाबंदी है. गणेशोत्सव में पीओपी की मूर्तियों की कहीं भी बिक्री न हो, इसके लिए सिटी में मूर्तियां आने से पहले ही रोक दी जाएगी.

गठित करेंगे प्रतिनिधियों की समिति 

महल्ले ने स्पष्ट किया कि इसके लिए मनपा की ओर से सिटी के पारंपरिक मूर्तिकार संगठन और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों की समिति गठित की जाएगी. बैठक में सहायक पुलिस आयुक्त नितिन जगताप, पीआई नरेन्द्र वानखेड़े, रोहिदास राठोड़, रामभाऊ तिड़के, सुरेश खरे, दिनेश कलोडे, अजय मलिक, विठोबा रामटेके, किरण मुंधडा, सुरेश पाठक, चंदन प्रजापति, अनुसया काले-छाबरानी आदि उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि पीओपी की मूर्तियों की खरीदी-बिक्री न हो, इसके लिए अभी से उपाय करना जरूरी है. जिसके लिए सभी के सहयोग से कार्रवाई की जाएगी. पीओपी की मूर्तियां पर्यावरण के लिए घातक है. शहर की सीमा पर ही मूर्तियों की जांच सुनिश्चित की जाएगी.

कार्रवाई के लिए उड़न दस्ता

महल्ले ने कहा कि सिटी में पीओपी की मूर्तियों की खरीदी-बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए उड़न दस्ते का भी गठन किया जाएगा. प्रत्येक जोन में मूर्तिकारों का पंजीयन किया जाएगा. पंजीयन के लिए मूर्तिकारों को 10 से 15दिनों का समय दिया जाएगा. इस अवधि में मनपा द्वारा गठित मूर्तिकार महासंघ और स्वयं सेवी संस्था के प्रतिनिधियों का दल पंजीयन आवेदन पत्रों की छानबीन करेगा. छानबीन के बाद मूर्तिकारों का पंजीयन सुनिश्चित किया जाएगा. मूर्ति बेचने वालों के लिए भी इसी तरह की प्रक्रिया होने की जानकारी भी महल्ले ने दी. चर्चा के दौरान मूर्तिकार महासंघ के प्रतिनिधियों ने पीओपी की मूर्तियों पर पूरी तरह से पाबंदी के लिए प्रतिबंधात्मक कुछ सुझाव भी दिए.