नागपुर. लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर जिलाधिकारी की ओर से 29 सितंबर 2023 को नोटिफिकेशन जारी किया. इसी आधार पर विभिन्न संसाधनों के लिए बुलाए गए टेंडर को चुनौती देते हुए नागपुर टेंट हाउस एसोसिएशन की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश और न्या. अतुल चांदुरकर ने जिलाधिकारी द्वारा शुरू की गई टेंडर प्रक्रिया में दखलंदाजी से इनकार कर दिया. अदालत का मानना था कि टेंडर सभी के लिए खुला है. कोई भी इसमें हिस्सा ले सकता है. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. प्रदीप वाठोरे ने पैरवी की. अधि. वाठोरे ने कहा कि 29 सितंबर को टेंट, फर्नीचर और अन्य वस्तुओं की आपूर्ति के लिए जिलाधिकारी की ओर से टेंडर मंगाया गया. जिसमें कई तरह की शर्तें रखी गई है.
अनाप-शनाप टेंडर की कीमत
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि टेंडर में अजीबोगरीब शर्तें रखी गई हैं. शर्त नंबर 7 के अनुसार इस चुनाव के पूर्व हुए चुनावों में एकसाथ 3 जिलों में इस तरह के कार्य करने का अनुभव मांगा गया है. यह शर्त किसी भी तरह से तर्कसंगत नहीं है. इतनी भारी संख्या में एकसाथ तीन जिलों में सामान की सप्लाई करना किसी एक व्यक्ति के लिए संभव ही नहीं है. इसी तरह से शर्त नंबर 8 में गत 3 वर्ष का टर्नओवर मांगा गया है. टर्नओवर की जो सीमा रखी गई है वह वर्तमान टेंडर की कीमत से कहीं अधिक है. यहां तक कि यह किसी सर्टिफाइड चार्टर्ड अकाउंटेंट से मांगा गया है. हालांकि 10 अक्टूबर को हुई टेंडर के पूर्व की बैठक में इस शर्त को शिथिल किया गया. जिसमें अब टर्नओवर को 40 प्रतिशत कम किया गया. किंतु अन्य शर्तें ज्यों की त्यों रखी गई है. टेंडर की कापी के लिए ही अनाप-शनाप 2.40 लाख रु. कीमत रखी गई है.
ये हैं शर्तें
-800 सदस्य है एसोसिएशन में
-15 करोड़ रु. का अनुमानित कार्य
-2.40 लाख रु. टेंडर कॉपी की कीमत
-24 लाख रु. ईएमडी रखी गई
-45 लाख रु. सिक्योरिटी डिपॉजिट मांगा गया
संगठन का एक भी सदस्य योग्य नहीं
-जिलाधिकारी की ओर से कैटरिंग, वीडियोग्राफी, केंद्रों पर सीसीटीवी स्थापित करने और बिजली आदि के लिए भी टेंडर जारी किए गए हैं. गत 2 वर्षों तक ग्लोबल पैंडामिक कोरोना ने पहले ही कमर तोड़ रखी है.
-अब व्यवसाय कुछ पटरी पर आया नहीं है. इसमें भी टेंडर में कड़ी शर्तें लागू की गई है. संगठन में ऐसा एक भी सदस्य नहीं है. जिसने एकसाथ तीन जिलों में इतनी भारी संख्या में सामान उपलब्ध कराने का काम किया है.
-इस तरह से यह कार्य किसी भी स्थानीय को मिलना संभव नहीं है. अकेले नागपुर जिले में ही 12 विधानसभा स्तर की सीटें हैं. यदि इस तरह के 2 जिलों के लिए भी काम करना पड़ा तो यह तर्कसंगत नहीं होगा.