Nurses Strike
File Photo : PTI

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    नागपुर. नर्सों की हड़ताल के चलते अब स्थिति बिगड़ने लगी है. हालांकि निवासी डॉक्टर और नर्सिंग के विद्यार्थी चौबीस घंटे सेवा दे रहे हैं लेकिन दिक्कतें कम होने की बजाय बढ़ती ही जा रही है. यही वजह है कि अब मेडिकल, मेयो और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में गंभीर मरीज जाने से कतरा रहे हैं. भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी कम होने लगी है. आंदोलन को 6 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है.

    नर्सों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है. अब स्थिति यह है कि निवासी डॉक्टर भी परेशान हो गये हैं. अपने काम के साथ ही नर्सों की भी जिम्मेदारी निभाने की वजह से बोझ बढ़ता जा रहा है. आंदोलन का सबसे ज्यादा असर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हुआ है. यहां सभी ऑपरेशन रद्द कर दिये गये हैं. मेडिकल में इमरजेंसी सेवा के लिए हर दिन ७ से ८ नर्सें आ रही हैं. इतनी कम नर्सों में इमरजेंसी सेवा भी असर पड़ा है. 

    मुंबई में चर्चा, कोई समाधान नहीं 

    हालांकि बीएससी और एसएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों को काम पर लगाया गया है लेकिन कोविड की वजह से कई दिनों तक प्रैक्टिकल वर्क बंद होने से अनुभव की कमी महसूस हो रही है. इस बीच प्रशासन की ओर से सभी की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं.  मेडिकल में ४५ नर्सें विविध कारणों से छुट्टी पर थीं. छुट्टी के बाद ड्यूटी पर तैनात तो हुये लेकिन इनमें से 41 तुरंत हड़ताल में शामिल हो गये. इन नर्सों से छुट्टी रद्द करने संबंधी आदेश का भी पालन नहीं किया.

    नर्सों के संगठन के सचिव जुल्फीकार अली ने बताया कि मुंबई में मंगलवार को प्रतिनिधियों के साथ वैद्यकीय शिक्षा व अनुसंधान विभाग के अधिकारियों की बैठक हुई लेकिन इसमें कोई हल नहीं निकल सका. यही वजह है कि हड़ताल जारी रखी जाएगी. सरकार नर्सों की मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही है.